Yashasvi Jaiswal: क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल की ऐसी है संघर्ष की कहानी, मुंबई में नहीं था रहने-खाने का ठिकाना!

भारतीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल को अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हर चीज से लड़ना और जीवित रहना सीखा। वह क्रिकेटर बनने के लिए अपना गांव छोड़कर मुंबई आये थे।

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भारतीय (Indian) युवा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर (International Cricketer) यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज (Batsman) हैं। जायसवाल घरेलू क्रिकेट में मुंबई का प्रतिनिधित्व करते हैं और इंडियन प्रीमियर लीग में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलते हैं। यशस्वी जायसवाल भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) के उभरते सितारे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से सभी को हैरान कर दिया है। वह विश्व क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी हैं। उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना जाता है।

गांव से मुंबई का सफर
उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले यशस्वी का बचपन गरीबी में बीता। 11 साल की उम्र में वह क्रिकेटर बनने का सपना लेकर सपनों की नगरी मुंबई पहुंचे। अंजान शहर में उनके लिए सबकुछ आसान नहीं था। मिली जानकारी के अनुसार, यशस्वी आजाद मैदान में राम लीला के दौरान गोलगप्पे बेचते थे। कई बार उन्हें खाली पेट सोना पड़ता था। संघर्ष के दिनों में उन्होंने डेयरी में भी काम किया।

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यशस्वी जायसवाल का जन्म कहां हुआ?
यशस्वी जायसवाल का जन्म 28 दिसंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के सुरियावां गांव में हुआ था। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। उनके पिता आज भी एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाते है।

सिर छुपाने की कोई जगह नहीं थी
आजाद मैदान के एक क्लब ने उनकी मदद की और उन्हें सिर छुपाने के लिए तंबू में जगह दी। हालांकि, क्लब ने शर्त रखी कि अगर वह अच्छा खेलेगा तो उसे टेंट में सिर छुपाने की जगह दी जाएगी। यशस्वी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह कहीं कमरा लेकर रह सकें। उन्हें तंबू में सोने के लिए जगह ढूंढने में भी संघर्ष करना पड़ा।

यशस्वी जायसवाल को कोच ज्वाला सिंह ने बनाया
कोच ज्वाला सिंह ने एक बार मीडिया से कहा था कि जब मैं यशस्वी से मिला तो मुझे उस बच्चे में अपनी झलक दिखी। मैं भी क्रिकेटर बनने के लिए गोरखपुर से मुंबई आया था। मैंने रमाकांत आचरेकर सर से क्रिकेट सीखा। उस समय मैं भी एक-एक पैसे को मोहताज था। जब मेरी मुलाकात यशस्वी से हुई तो मैंने तय कर लिया कि मैं इस बच्चे को क्रिकेटर बनाऊंगा। मैंने उसे अपने घर में रखने का फैसला किया।

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