अमरनाथ में हिंदू लंगरों का दम निकालने की साजिश?

श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने यात्रा मार्ग में लंगर सेवा करनेवालों से आवेदन मंगाए हैं। जिसमें इस बार दो शर्तें लादी गई हैं जिसको लेकर हिंदू संस्थाओं में अस्वस्थता है।

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अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं के लिए हिंदू संस्थाओं और साधुओं द्वारा लंगर चलाए जाते हैं। इन्हें लंगरों के लिए दान में मिले अनाज के बल पर चलाया जाता है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन इन लंगरों पर रोक लगानेवाले दो आदेश जारी किये हैं। जिसको लेकर आरोप है कि इससे हिंदू संस्थाओं और साधु-संतों द्वारा संचालित लंगर दम तोड़ देंगे। इसके विरुद्ध ‘साबलो’ ने अधिवक्ता अंकुर शर्मा के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का मानना है कि ये हिंदू लंगरों का दम निकालने की साजिश है।

श्री अमरनाथ यात्रा मार्ग में लंगर मात्र भोजन तक सीमित नहीं होते। इसमें भोजन के लंगर, निशुल्क दवाओं के लंगर और निशुल्क रहने के टेंट के लंगर शामिल हैं। लेकिन अब शर्तों के लंगर में इनका संचालन असंभव हो जाएगा।

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शर्तों में लगेंगे लंगर

  • एक आयोजक पूरे यात्रा क्षेत्र में मात्र एक लंगर ही लगा सकेंगे। इसके लिए भोजन की जानकारी, नियम, एसओपी, पुलिस सत्यापन का ब्यौरा श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के पास आवेदन के माध्यम से जमा कराना होगा।
  • लंगर संगठनों को आवेदन के साथ 2018-19, 2019-20, 2020-21 की बैलेंस शीट जमा करानी होगी। जिसका चार्टर्ड अकाउंटेंट से सत्यापित होना आवश्यक है। इसके अलावा दस हजार रुपए की सिक्योरिटी मनी का ड्राफ्ट भी जमा कराना होगा। इस लंगर सेवा में सम्मिलित होनेवालों पर आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आवेदनकर्ता पर बोर्ड का कोई उधार अथवा जुर्माना नहीं लगा होना चाहिए। लंगर की अनुमति के बाद सेवादारों, भोजन बनानेवालों का पुलिस सत्यापन आवश्यक है। लंगर आयोजकों के आवेदन की जांच अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी और उप-सीईओ की कमेटी करेगी।

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ये हैं समस्याएं

  • लंगर का आयोजन दान से चलनेवाली संस्थाएं करती हैं। जिनकी बैलेंस शीट नहीं है।
  • साधु-संतों द्वारा भी बड़ी संख्या में लंगर चलाए जाते हैं। इन संतों के लंगर दान में आए अनाज और सामानों से चलते हैं, जिनमें कोई आर्थिक व्यवहार नहीं होता और न ही हिसाब-किताब रखा जाता है। ऐसे में इनके पास बैलेंस शीट होना कठिन है।
  • देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में सेवादार आते हैं, सभी का पुलिस सत्यापन कठिन है।

हिंदू संगठनों के लंगर के कारण बाबा अमरनाथ यात्रा मार्ग में बने मुस्लिम होटलों में बिक्री न के बराबर होती है। अब श्री अमरनाथ लंगर ऑर्गेनाइजेशन (साबलो) के अनुसार हिंदुओं के लंगर बंद कराने से इसका सीधा लाभ इन मुस्लिम व्यापारियों को मिलेगा। इसलिए हिंदू लंगर आयोजकों का एक धड़ा ये मान रहा है कि मुस्लिम व्यापारियों के दबाव में प्रशासन हिंदू लंगर आयोजकों को कानूनों में बांधकर नियंत्रित कर रहा है।

370 खत्म लेकिन इस्लामी राजनीति कायम

उपराज्यपाल के अधीन जारी किये गए दोनों आदेश हिंदुओं के मौलिक अधिकारों को कुचलना है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से इस्लामी राजनीति खेली जा रही थी, जो इसकी समाप्ति के बाद भी अप्रत्यक्ष रूप से चलाई जा रही है।

इसके पहले 2009-10 में भी ऐसा एक प्रयत्न हुआ था जो सफल नहीं हो पाया। अब संघ की सत्ता है उसमें हिंदुओं संस्थाओं का गला घोंटने की साजिश हो रही है, जिसका लाभ मुस्लिम व्यापारियों को मिलेगा। ये प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष भावना पर इस्लामी आक्रमण है।
अंकुर शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता, जम्मू-कश्मीर

संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन
साबलो द्वारा जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में दायर याचिका में मांग की गई है कि, प्रशासन के दोनों आदेश सनातन धर्म के मूल तत्व ‘दान’ के अधिकारों के पालन से वंचित करते हैं। इसलिए इन दोनों आदेशों को निरस्त किया जाए।

  • ये संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त अनुच्छेद 25 का हनन है, जो प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने का अधिकार देता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) का हनन है, जो प्रत्येक नागरिक को अपनी संस्था निर्माण का अधिकार देता है।
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