सीएनजी- पीएनजी की कम होगी कीमत? ये है कारण

आयातित लिक्विड नेचुरल गैस पर निर्भरता होने की वजह से ही इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी का असर सीएनजी और पीएनजी के दाम में जबरदस्त उछाल के रूप में देखा गया।

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सीएनजी और पीएनजी की कीमत पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार जल्दी ही सिटी गैस ऑपरेटर्स को देश में उत्पादित होने वाली प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बढ़ाने जा रही है। अभी तक सिटी गैस ऑपरेटर्स को सीमित मात्रा में ही घरेलू स्तर पर पैदा की जाने वाली नेचुरल गैस की आपूर्ति की जाती है। इस गैस की अधिकतम मात्रा औद्योगिक कार्यों के लिए आवंटित की गई है। ऐसे में सिटी गैस ऑपरेटर्स को अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए महंगी आयातित गैस का सहारा लेना पड़ता है, जिसका असर सीएनजी और पीएनजी की कीमत पर भी पड़ता है।

बढ़ाई जाएगी सिटी गैस ऑपरेटर्स को नेचुरल गैस की सप्लाई 
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली के इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) और मुंबई के महानगर गैस लिमिटेड (एमजीएल) जैसे सिटी गैस ऑपरेटर्स के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाली नेचुरल गैस का आवंटन बढ़ाकर आयातित गैस पर उनकी निर्भरता कम करने जा रही है। ऐसा होने पर सिटी गैस ऑपरेटर्स को तुलनात्मक रूप से कम मात्रा में महंगी लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) का आयात करना पड़ेगा, जिससे सिटी गैस ऑपरेटर्स की ओवरऑल लागत में कमी आएगी। स्वाभाविक रूप से ऑपरेटर्स की लागत कम होने पर सीएनजी और पीएनजी की कीमत में कमी करने में भी काफी मदद मिलेगी।

वर्तमान स्थिति
इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल घरेलू स्तर पर पैदा होने वाले नेचुरल गैस में से इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड और महानगर गैस लिमिटेड जैसे सिटी गैस ऑपरेटर्स को प्रति दिन 75 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर नेचुरल गैस का आवंटन किया जाता है। केंद्र सरकार ने अब इस आवंटन को बढ़ाकर 207.8 लाख स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर करने का फैसला किया है। इस फैसले के लागू हो जाने के बाद सिटी गैस ऑपरेटर्स की लागत घट सकेगी, जिसका फायदा आम उपभोक्ताओं को गैस की कीमत में कटौती के रूप में मिलेगा।

इस कारण बढ़ जाती है लागत
बताया जा रहा है कि प्राकृतिक गैस के आवंटन का कोटा बढ़ने के बाद सिटी गैस ऑपरेटर्स की कुल जरूरत का 94 प्रतिशत घरेलू स्तर पर पैदा की जाने वाली प्राकृतिक गैस ही पूरा हो जाएगा। फिलहाल घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाली प्राकृतिक गैस का कोटा कम होने के कारण सिटी गैस ऑपरेटर्स को अपने ग्राहकों के लिए सीएनजी और पीएनजी की सुचारू तरीके से सप्लाई जारी रखने के लिए आयातित लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) का सहारा लेना पड़ता है। आयातित एलएनजी पर निर्भरता के कारण सिटी गैस ऑपरेटर की लागत काफी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को भी महंगी दर पर सीएनजी और पीएनजी का भुगतान करना पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी का असर
आयातित लिक्विड नेचुरल गैस पर निर्भरता होने की वजह से ही इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई तेजी का असर सीएनजी और पीएनजी के दाम में जबरदस्त उछाल के रूप में देखा गया। पिछले 1 साल के अंदर ही सीएनजी की कीमत में प्रति किलो न्यूनतम 32 रुपये तक का इजाफा हो चुका है। फिलहाल दिल्ली में सीएनजी 75.61 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा है, जबकि मुंबई में इसकी कीमत 86 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। इसी तरह दिल्ली में पीएनजी भी साल भर के अंदर लगभग दोगुना महंगा होकर 50.59 रुपये प्रति यूनिट के भाव पर मिल रहा है।

संचित घाटे को कम करने में लग सकता है समय 
माना जा रहा है कि सिटी गैस ऑपरेटर्स को घरेलू स्तर पर पैदा की जाने वाली प्राकृतिक गैस का आवंटन बढ़ाने के बाद सीएनजी और पीएनजी दोनों की कीमत में कटौती का रुख बन सकता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि अभी तक आयातित लिक्विड नेचुरल गैस पर सिटी गैस ऑपरेटर्स की निर्भरता अधिक होने की वजह से इन कंपनियों का संचित घाटा काफी बढ़ चुका है। ऐसे में अगर केंद्र की ओर से घरेलू स्तर पर पैदा की जाने वाली नेचुरल गैस का कोटा बढ़ाया भी जाता है तो इन सिटी गैस ऑपरेटर्स को अपने संचित घाटे की भरपाई करने में कुछ समय लग सकता है। ऐसे में संचित घाटे की भरपाई के बाद ही आम उपभोक्ताओं को सीएनजी और पीएनजी की कीमत में कटौती का फायदा मिल सकेगा।

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