वंदे मातरम् पर उठी मांग, उच्च न्यायालय में याचिका! ऐसा है प्रकरण

यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम् गीत का अहम योगदान रहा है।

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वंदे मातरम् को राष्ट्रगान की तरह दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में सभी स्कूलों में जन-गण-मन के साथ ही वन्दे मातरम् गीत को बजाने के लिए एक दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है।

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यह याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम् गीत का अहम योगदान रहा है। देश की आजादी के बाद जन-गण-मन को राष्ट्रीय गान का दर्जा देकर प्राथमिकता दी गई, उसके लिए कानून बनाया गया, लेकिन वंदे मातरम् को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिए जाने के बाद भी उसके लिए कोई कानून नहीं बनाया गया। याचिका में मांग की गई है कि सभी स्कूलों में वंदे मातरम् को राष्ट्रगान की तरह बजाया जाना चाहिए।याचिका में कहा गया है कि संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रगान पर दिए गए भाषण में वंदे मातरम् और जन-गण-मन को बराबर का दर्जा देने की बात कही थी। याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश देने की मांग की गई है कि सभी स्कूलों में वंदे मातरम् और राष्ट्रगान को बजाने के लिए दिशा निर्देश जारी किया जाए।उल्लेखनीय है कि 26 जुलाई, 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट और इससे पहले 17 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट पहले ही अश्विनी उपाध्याय की ऐसी की याचिकाओं को खारिज कर चुका है। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 51ए यानी मौलिक कर्तव्य के तहत सिर्फ राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज का उल्लेख है, इसलिए वंदे मातरम् को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है।

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