तपस्या समाप्त लेकिन अभियान नहीं, अविमुक्तेश्वरानंद ने की यह घोषणा

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि न्यायालय किस बात को अर्जेन्सी वाला समझते हैं और किस बात को नहीं, यह समझ से परे है।

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सनातन धर्मावलम्बियों के लिए आज का समय सुखद नहीं हैं। भगवान आदि विश्वेश्वर जिन्हें विश्व का नाथ कहा गया है, वे आज एक समय के अन्न और जल से भी वंचित हो रहे हैं। यह हिन्दू समाज का कैसा दुर्भाग्य है कि भगवान हम पर कृपा करके प्रकट हुए हैं पर हम उनका दर्शन पूजन तक नहीं कर पा रहे हैं और उनके लिए अन्न जल की व्यवस्था भी नहीं कर पा रहे हैं। ये उद्गार स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के है। 8 जून की शाम केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में आयोजित सभा को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि गुरुदेव की आज्ञा एवं काञ्ची महाराज के अनुरोध पर हमने अपनी तपस्या को समाप्त किया है, पर यह अभियान समाप्त नहीं हुआ है। केवल इस अभियान का स्वरूप बदला है। शंकराचार्य जी के आदेश अनुसार अब इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए देशव्यापी अभियान चलाएंगे।

करेंगे परम धर्म सेना का गठन
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने परम धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान से अपने लिए कुछ चाहना कपट धर्म कहलाता है।जबकि भगवान से भगवान को ही चाहना परम धर्म कहलाता है। इसलिए अब हम परम धर्म सेना का गठन करेंगे। इसमें ऐसे लोगों की भर्ती की जाएगी, जो सनातन धर्म के लिए निःस्वार्थ एवं समर्पित रूप से कार्य करने को तैयार होंगे। जरूरत पड़ी तो सनातन धर्म की रक्षा के लिए जेल भी भरेंगे।

रामराज्य में एक कुत्ते को भी मिला था न्याय
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि न्यायालय किस बात को अर्जेन्सी वाला समझते हैं और किस बात को नहीं, यह समझ से परे है। यह वही देश है, जहां रात को दो बजे भी सुनवाई हुई है। जो लोग रामराज्य लाने का नारा लगाते हैं वे यह नही जानते कि भगवान रात ने रात को एक कुत्ते की सुनवाई करने के लिए भी अपना दरबार खोला था। उन्होंने अपने अनशन का जिक्र कर कहा कि उनके अन्न जल त्याग करने का समाचार पूरे देश में पता चला तब से ही अनेक प्रदेशों एवं जिलों में रह रहे शंकराचार्य महाराज के भक्तों सहित अनेक सनातनियों ने सांकेतिक प्रदर्शन दिया, अपने अपने क्षेत्र में जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया। श्री विद्यामठ में भी अनेक लोगों ने बिना किसी को कुछ बताए ही उनके अन्न जल ग्रहण करने के बाद ही अन्न लेने का संकल्प कर रखा था। सभा में काशी विद्वत् परिषद् न्यास के अध्यक्ष डॉ श्रीप्रकाश मिश्र, आचार्य पं रमाकान्त पाण्डेय, जितेन्द्र नाथ मिश्र, भारत धर्म महामण्डल के श्रीप्रकाश पाण्डेय, दिनेशमणि तिवारी, रमेश उपाध्याय, गिरीश तिवारी, किशन जायसवाल, कन्हैया जायसवाल, ज्योतिर्मयानन्द ब्रह्मचारी आदि ने भी विचार रखा।

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