Uttar Pradesh: शिक्षित के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण: सीएम योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1932 में जब युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तब उनका संकल्प था कि देश को गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद कैसे नागरिक मिलने चाहिए।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा है कि शिक्षा (Education) प्राप्त करना केवल पुस्तकीय ज्ञान (Bookish Knowledge) नहीं है। पुस्तकीय ज्ञान से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त की जा सकती है। परन्तु, जीवन में विजेता बनने के लिए शिक्षित होने के साथ ज्ञानवान होना महत्वपूर्ण है। ज्ञान, शिक्षण संस्थानों (Educational Institutions) में संवाद के वातावरण और अनुभव से अर्जित होता है।

मुख्यमंत्री योगी रविवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (Maharana Pratap Education Council) के 91वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। मुख्य अतिथि राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण और मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ का कोई विकल्प नहीं है। उद्देश्य के अनुरूप प्रतिबद्ध होकर समय सीमा में कार्य करते हुए आगे बढ़ने पर ही लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।

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मुख्यमंत्री ने महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना, वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखण्ड-विजेता कौन हुआ, अतुलित यश क्रेता कौन हुआ, नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ, जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया; का उद्धरण दिया और कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखते हुए परिश्रम करने से सफलता की नई ऊँचाईयां प्राप्त होती हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1932 में जब युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की तब उनका संकल्प था कि देश को गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद कैसे नागरिक मिलने चाहिए। उसी संकल्प पर चलते हुए आज यह परिषद चार दर्जन संस्थाओं के माध्यम से निरंतर शिक्षा और सेवा के प्रकल्पों को आगे बढ़ा रही है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जीवन में कृतज्ञता का भाव सदैव बने रहना चाहिए। कृतज्ञता का भाव सकरात्मकता से आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। इसको और स्पष्ट करने के लिए उन्होंने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के अपने गुरु के प्रति प्रकट किए गए भाव के क्रियात्मक पक्ष का स्मरण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ जी के गुरु को अंग्रेज सरकार ने आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण शिक्षक की नौकरी से निकाल दिया। तब गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने लिए महंत दिग्विजयनाथ ने एक स्कूल खोला और गुरु को प्रधानाचार्य बना दिया। यही स्कूल महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की आधार शिला बना।

संस्थापक सप्ताह के समापन समारोह में स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो यूपी सिंह ने किया।

इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, कुशीनगर के सांसद विजय दूबे, विधायक श्रीराम चौहान, राजेश त्रिपाठी, विपिन सिंह, एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह आदि की सहभागिता रही।

इन्हें किया गया पुरस्कृत
संस्थापक सप्ताह के मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण व उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की उत्कृष्ट संस्थाओं, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया।

”पूर्वोत्तर के प्रहरी: नागालैंड” का विमोचन हुआ
जगदम्बा लाल द्वारा लिखित पुस्तक ”पूर्वोत्तर के प्रहरी: नागालैंड” का विमोचन भी किया गया।

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