सनसनीखेज! बैंकों के बाकी कर्ज से देश में मुफ्त टीकाकरण संभव

अगर देश के बैंको के बकायेदारों से बकाया वसूल किया जाए तो इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए केंद्रीय बजट में आवंटित 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत नहीं होगी और इस पैसे का इस्तेमाल अरबों लोगों के टीकाकरण के लिए किया जा सकेगा।

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केंद्र सरकार और आरबीआई देश में ऋण डिफॉल्टरों की संख्या को कम करने के लिए नीतियों में बार-बार बदलाव करते रहती है, ताकि बैंकों के ऋण की वसूली में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। इसका कारण यह है कि पीएमसी जैसे बड़े बैंकों में भी कर्ज देने में बड़े पैमाने पर घोटाले सामने आने के बावजूद डिफॉल्टरों की संख्या में कमी नहीं दिख रही है। आरटीआई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश के विभिन्न बैंकों का ऋण चुकाने की क्षमता होने के बावजूद ऋण का भुगतान न करने के कारण 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।

खास बात यह है कि इसमें  से 282 बड़ी हस्तियों के भी नाम शामिल हैं। विवेक वेलणकर ने सूचना का अधिकार के तहत आरबीआई से इस बारे में जानकारी मांगी थी। यह जानकारी उसी से प्राप्त हुई है। वेलणकर पुणे में सजग नगरिक मंच से जुड़े हुए हैं।

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आरबीआई ने दी ये जानकारी

  • आरबीआई को एक सूची प्राप्त हुई है,जिसमें ऋण चुकाने की क्षमता के बावजूद, ऋण नहीं चुकाने वालों के नाम हैं।
  • ये सोची-समझी रणनीति के तहत कर्ज नहीं चुका रहे हैं और उस पैसे का इस्तेमाल कहीं और कर रहे हैं।
  • प्रत्येक बैंक को रिजर्व बैंक और क्रेडिट रेटिंग कंपनी को ऐसे ऋण बकायेदारों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य किया गया है।
  • रिजर्व बैंक ने सूचना का अधिकार के तहत 31 दिसंबर 2020 तक 1,996 ऋण बकायेदारों की सूची जारी की।
  • सब मिलाकर कुल कर्ज बकाया 1,55,079 करोड़ रुपये हो गया।
  • इसमें से 24 बकायेदारों पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।
  • 500 करोड़ से 1,000 करोड़ रुपये तक के 22 बकायेदार हैं। इन पर कुल 16,157 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • 100 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये तक के कुल बकायेदार 279 हैं। इन पर कुल 50,160 करोड़ रुपये का बकाया है।
  • इसका अर्थ है कि 100 करोड़ रुपये से अधिक बकाया वाले 279 बकायेदार हैं और उन पर 1,16,651 करोड़ रुपये बकाया है।
  • इन सभी डिफॉल्टर्स पर संबंधित बैंकों द्वारा मुकदमा दायर किया गया है और उन्हें अपराधी घोषित किया गया है।
  • उन्होंने अपनी सूची रिजर्व बैंक को केवल इसलिए भेजी है क्योंकि बकायेदारों ने जान-बूझकर ऋण नहीं चुकाया। बैंकों को ये भी पता चला कि ऋण का पैसा कहीं और इस्तेमाल किया गया है।तो मुफ्त टीकाकरण संभव
    विवेक वेलणकर का कहना है कि आरबीआई इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर क्यों नहीं उपलब्ध कराती है? 100 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया वाले कम से कम 279 लोगों पर तेजी से मुकदमा चलाया जाना चाहिए, ताकि बैंकों को उनसे कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये मिल सके। बेशक, इसके लिए बैंकों की इच्छा शक्ति भी आवश्यक है, लेकिन सरकार को भी उस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है। अगर यह बकाया वसूल किया जाता है, तो इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए केंद्रीय बजट में आवंटित 20,000 करोड़ रुपये की जरूरत नहीं होगी और इस पैसे का इस्तेमाल अरबों लोगों के टीकाकरण के लिए किया जा सकेगा।

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