Gyanvapi Case: इलाहाबाद उच्च न्यायालय में टली सुनवाई, अब इस तिथि को होगी हियरिंग

ज्ञानवापी मंदिर विवाद को लेकर 28 अगस्त को फैसला नहीं आया था। चीफ जस्टिस ने स्वयं अब इस मामले में फिर से सुनवाई करने का निर्णय लिया।

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ज्ञानवापी मस्जिद

वाराणसी के विश्वेश्वर-ज्ञानवापी मामले में 12 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई वकीलों के कार्य बहिष्कार के चलते नहीं हो सकी। चीफ जस्टिस की बेंच में मामले की सुनवाई होनी थी। अब इस केस की सुनवाई 18 सितंबर को होगी।

वाराणसी कोर्ट में दायर सिविल वाद के मामले में सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर सुनवाई होगी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस पांडिया की कोर्ट में हुई थी। कोर्ट ने मामले में फैसला भी सुरक्षित रख लिया था। उसके बाद यह केस चीफ जस्टिस की बेंच में सूचीबद्ध किया गया था। ज्ञानवापी सर्वे पर निचली अदालत के निर्देश को भी चुनौती दी गई।

28 अगस्त को नहीं आया था फैसला
ज्ञानवापी मंदिर विवाद को लेकर 28 अगस्त को फैसला नहीं आया था। चीफ जस्टिस ने स्वयं अब इस मामले में फिर से सुनवाई करने का निर्णय लिया। चीफ जस्टिस के इस निर्णय के चलते 28 अगस्त को इस मामले में फैसला देने वाले जस्टिस प्रकाश पाड़िया फैसला न दे सकें। चीफ जस्टिस की कोर्ट में इस केस की फिर नये सिरे से सुनवाई शुरू हुई।

ऐसे चली सुनवाई
उच्च न्यायालय में वाराणसी ज्ञानवापी मंदिर स्वामित्व विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं पर 28 अगस्त को मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान अंजुमने इंतजामिया मस्जिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष स्थानांतरित किए जाने पर आपत्तियां उठाईं। कहा कि एकलपीठ ने सुनवाई पूरी कर 28 अगस्त को फैसला सुनाने के लिए कहा था। अचानक दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की जानकारी हुई। कोर्ट ने दोनों याचियों की आपत्तियों को सुना और मामले की सुनवाई के लिए 12 सितम्बर की तिथि तय कर दी।

पांच याचिकाएं दाखिल
मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दो और अंजुमने इंतजामियां मस्जिद की ओर से तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिसमें मस्जिद परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने के वाराणसी कोर्ट के 2021 के आदेश को चुनौती दी गई है। ताकि, यह निर्धारित किया जा सके कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण के लिए विश्वेश्वर मंदिर को आंशिक रूप से तोड़ा गया।

लंबित मामले की कार्यवाही पर सितम्बर 2021 से ही रोक
कोर्ट ने इस मामले में वाराणसी जिला न्यायालय के समक्ष लंबित मामले की कार्यवाही पर सितम्बर 2021 से ही रोक लगाई है। साथ ही एएसआई सर्वे करने के लिए अगले आदेश तक मना कर दिया था। इसके पहले मामले को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिय़ा की एकलपीठ 25 जुलाई को सुनवाई पूरी कर चुकी थी। 28 अगस्त को फैसला सुनाने के लिए कहा था। लेकिन, उसके पहले ही इस केस को चीफ जस्टिस ने अपने पास मंगा लिया। स्थानांरित करने की वजह सामने नहीं आई।

28 अगस्त को आने वाला था फैसला
28 अगस्त को सुनवाई शुरू होते ही इसके बाद याची अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी एवं सुन्नी सेंट्रेल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ताओं की तरफ से सवाल उठाया गया। कहा कि इस मामले की सुनवाई 72 दिनों तक इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ में हो चुकी है और जिसमें फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। सुनवाई कर चुकी एकलपीठ 28 अगस्त को फैसला सुनाने की तिथि तय की थी। अचानक पता चला की दूसरी बेंच सुनवाई करेगी। उन्होंने वर्ष 2006 में अमर सिंह केस में पूर्णपीठ के फैसले का हवाला दिया और कहा कि सुने हुए मुकदमे को सामान्य तौर पर दूसरी अदालत में स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए किंतु यह भी माना की मुख्य न्यायाधीश को प्रशासनिक आधार पर कोई भी मुकदमा किसी भी समय किसी भी पीठ को नामित करने या वापस लेने का अधिकार है।

 

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