ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालयन ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने पुरातत्व विभाग के सर्वे को जारी रखने का आदेश दिया है। हालांकि खुदाई काम के लिए एएसआई को न्यायालय से मंजूरी लेनी होगी।
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे कराये जाने के मामले में दाखिल अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए एएसआई के वैज्ञानिक को तलब किया था।
न्यायालय एएसआई से यह जानना चाहता था कि सर्वे के दौरान कोई क्षति तो नहीं होगी। न्यायालय इस मामले में एएसआई से उस विधि को भी जानना चाहता था, जिसके जरिए यह सर्वे किया जा रहा है। कोर्ट ने सर्वे सिस्टम का डेमो भी देखा था।
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मस्जिद पक्ष की ओर से शिकायत
इसके पहले सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष की ओर से कहा गया कि सर्वे से संरचना को क्षति हो सकती है। वाराणसी जिला जज को सर्वे कराये जाने का अधिकार नहीं है। यह आदेश गलत है। जवाब में मंदिर पक्ष की ओर से जवाब दिया गया कि सर्वे के बाद ही मंदिर के स्ट्रक्चर का सही पता चल सकता है। एएसआई दो तकनीकों के माध्यम- फोटोग्राफी और इमेजिंग से सर्वे करेगी। किसी तरह की क्षति नहीं होगी। इस पर कोर्ट ने सर्वे का डेमो जानना चाहा और सर्वे में लगे एएसआई के वैज्ञानिक को तलब किया है।