जानिये क्यों कटघरे में हैं गुजरात और महाराष्ट्र सरकार?

कोविड 19 संक्रमितों का दर्द अब न्यायालय में बैठे न्यायाधीशों को भी चिंतित करने लगा है। इस दर्द का संज्ञान लेते हुए अब न्याय पालिका ने सरकारों से उत्तर मांगना शुरू कर दिया है।

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गुजरात में बढ़ रहे कोविड 19 के संक्रमण को देखते हुए सुओ मोटो कॉग्निजेंस के अंतर्गत उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछताछ शुरू कर दी है। इसकी सुनवाई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायाधीश कारिया की बेंच में हुई। जिसमें न्यायालय ने संक्रमण के बढ़ते मामलों पर सरकार की जिम्मेदारी, औषधि उपलब्धता, स्वास्थ्य कर्मियों की समुचित संख्या और जनसमुदाय की भूमिका पर उत्तर मांगे। इधर महाराष्ट्र में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कोविड 19 संक्रमितों का दर्द जाना और लोगों की परेशानियों पर सरकार से उत्तर मांगा है।

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कोविड नियंत्रण में अनियंत्रित उद्रेक और गंभीर प्रबंधन कमियां

समाचार पत्र और न्यूज चैनल डरानेवाली कहानियों से भरी पड़ी हैं। दुखद और सोच से परे की परेशानियां, सोच से परे की संसाधनों की स्थिति, जांच में कमी, बेड की अनुपलब्धता, आईसीयू और ऑक्सीजन व रेमडेसवीर जैसी दवाओं की कमी।

यदि कोई यहां-वहां की खबर होती तो मैंने अनदेखा भी कर दिया होता लेकिन इसे शीर्ष के राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने छापा है इसे कैसे अनदेखा करें।

महाराष्ट्र में विलगीकरण कक्ष में सीसीटीवी लगाने का आदेश
बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार के खर्च से विलगीकरण कक्ष में सीसीटीवी कैमरा लगाने का आदेश दिया है। यह निर्णय विलगीकरण कक्ष में रहनेवाले संक्रमितों द्वारा नियमों का पालन न करने की शिकायत के बाद आया है।

 

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