युवाओं के टीकाकरण पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को दिया ये सुझाव!

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को कहा कि आपने पहले 45-60 वर्ष वालों का टीकाकरण शुरू किया था और अब इसे 18 साल के युवाओं के लिए शुरू किया है। लेकिन आप उनका टीकाकरण नहीं कर रहे हैं।

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देश में युवाओं और बच्चों के टीकाकरण को लेकर जारी चर्चा के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। न्यायालय ने कहा है कि युवाओं को बचाया जाना चाहिए, वे देश के भविष्य है। टीकाकरण को लेकर सरकार की नीति पर असंतोष जताते हुए न्यायालय ने कहा कि ये संतोषजनक प्रणाली नहीं है।

न्यायालय ने जताई नाराजगी
न्यायालय ने कहा कि आपने पहले 45-60 वर्ष वालों का टीकाकरण शुरू किया था और अब इसे 18 साल के युवाओं के लिए शुरू किया है। लेकिन आप उनका टीकाकरण नहीं कर रहे हैं। आपके पास वैक्सीन नहीं है। फिर आपने उनके लिए टीकाकरण की घोषणा ही क्यों की? हमें भविष्य में निवेश करना है, भविष्य में आराम नहीं करना है। हम अपने देश के युवाओं की उपेक्षा कर रहे हैं और बुजुर्गों को महत्व दे रहे हैं। न्यायालय ने आगे कहा कि इतने सारे युवा अपनी जान गंवा चुके हैं। यही युवा वर्ग देश के भविष्य हैं। हम उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं। हमें अपने भविष्य को बचाना है।

80 साल के बुजुर्ग ने जीवन जी लिया
न्यायालय ने कहा कि 80 साल के बुजुर्ग ने जीवन जी लिया है। हमारे पास उनके लिए बेड्स नहीं हैं। लेकिन जब हम संकट में होते हैं तो आदर्श रुप से आपको सबको बचाना चाहिए और अगर आपके पास संसाधन नहीं है तो पहले युवाओं के बारे में सोचें। न्यायालय ने कहा कि अगर हम अपनी मदद नही करेंगे तो भगवान भी हमारी मदद नहीं करेंगे। आपके पास सभी आंकड़े हैं। उन्हें देख लीजिए।

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इटली का दिया उदाहरण
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह आगे की बात सोचे, आगे की राह देखे। बेंच ने इटली का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि इटली ने अस्पतालों में बेड की कमी होने पर युवाओं से माफी मांगी कि युवाओं के लिए बेड उपलब्ध नहीं हो पाया क्योंकि ज्यादातर बेड वृद्ध मरीजों से भरे थे। न्यायालय में केंद्र सरकार का पक्ष अमित महाजन ने रखा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है।

ब्लैक फंगस पर दी नीति बनाने की सलाह
उच्च न्यायालय ने ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल होने वाली लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी दवा वितरण पर पर नीति बनाने का सुझाव दिया। न्यायालय ने कहा कि जिन रोगियों की बचने की ज्यादा संभावना है, उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

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