पुणे में एक महीने में चौथी बार बढ़ी सीएनजी की कीमत, इन शहरों में भी बढ़ाने का दबाव

भारत मुख्य रूप से अरब देशों से प्राकृतिक गैस का आयात करता है। इन देशों से लंबे समय से प्राकृतिक गैस की खरीद 20 डॉलर प्रति यूनिट की कीमत पर की जा रही थी।

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महाराष्ट्र के पुणे में एक बार फिर कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) की कीमत में बढ़ोतरी कर दी गई है। 29 अप्रैल को इसकी कीमत में प्रति किलो 2.20 रुपये का इजाफा किया गया है। इस बढ़ोतरी के बाद पुणे में सीएनजी की कीमत 77.20 रुपये प्रति किलो हो गई है। पुणे में सीएनजी की कीमत में बढ़ोतरी होने के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सीएनजी की सप्लाई करने वाली कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) पर भी कीमत में एक बार और बढ़ोतरी करने का दबाव बन गया है।

 पुणे में इस महीने चौथी बार सीएनजी की कीमत में बढ़ोतरी की गई है। इसके पहले इस महीने 6 अप्रैल, 13 अप्रैल और 18 अप्रैल को इसकी कीमत में बढ़ोतरी की गई थी।

इन क्षेत्रों में भी बढ़ाने का दबाव
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के बाद सीएनजी की कीमत में बढ़ोतरी का यह सिलसिला दिल्ली और एनसीआर तक भी पहुंच सकता है। प्राकृतिक गैस के लगातार महंगा होने की वजह से दिल्ली-एनसीआर में सीएनजी की सप्लाई करने वाली कंपनी आईजीएल पर भी काफी दबाव बना हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी प्राकृतिक तेल की कीमत
सीएनजी की कीमत में हुई बढ़ोतरी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रत्येक प्राकृतिक गैसों की कीमत में हुई तेज बढ़ोतरी को माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर के बाद से ही प्राकृतिक गैस की कीमत में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। इसके साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद इसकी कीमत में और तेजी आई है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
भारत मुख्य रूप से अरब देशों से प्राकृतिक गैस का आयात करता है। इन देशों से लंबे समय से प्राकृतिक गैस की खरीद 20 डॉलर प्रति यूनिट की कीमत पर की जा रही थी। लेकिन पिछले साल अक्टूबर के बाद से ही प्राकृतिक गैस के उत्पादन में कमी आने के कारण इसकी कीमत में बढ़ोतरी शुरू हो गई। खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के तीसरे सबसे बड़े प्राकृतिक गैस सप्लायर रूस की ओर से गैस की सप्लाई काफी हद तक बाधित हो गई। रूस यूरोपीय देशों में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है। लेकिन रूस पर अमेरिका और यूपोपीय देशों द्वारा प्रतिबंध लगाने और रूस द्वारा डॉलर की जगह रूसी मुद्रा रूबल में भुगतान करने की शर्त के कारण यूरोपीय देशों के सामने एनर्जी क्राइसिस की स्थिति बनने लगी है।

इन देशों में बढ़ गई है कच्चे तेल की कीमत
बताया जा रहा है कि आर्थिक प्रतिबंध और रूबल में भुगतान करने की शर्त के कारण अभी तक अपनी जरूरत के लिए रूस से प्राकृतिक गैस खरीदने वाली यूरोपीय देशों को मजबूरन मस्कट ,कतर और इसी तरह के दूसरे अरब देशों से प्राकृतिक गैस खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इसकी वजह से प्राकृतिक गैस की कीमत भी लगभग दोगुनी होकर 40 डॉलर प्रति यूनिट तक पहुंच गई है। ऐसे में भारत को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार से लगभग दोगुनी कीमत यानी 40 डॉलर प्रति यूनिट की कीमत पर ही प्राकृतिक गैस खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जानकारों का कहना है कि जब तक रूस और यूक्रेन का युद्ध जारी रहेगा, तब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूस से सप्लाई होने वाली प्राकृतिक गैस की आपूर्ति काफी हद तक ठप रहने वाली है। इसकी वजह से प्राकृतिक गैस की कीमत में लगातार तेजी बनी रहेगी। इसके कारण भारत को भी मजबूरन महंगी दर पर ही प्राकृतिक गैस आयात करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में भारत में सीएनजी, पीएनजी और एलपीजी की कीमत में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रखने के लिए गैस मार्केटिंग कंपनियों को मजबूर होना पड़ सकता है।

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