महाराष्ट्र के गृह मंत्री की सीबीआई जांच! परमबीर के आरोपों पर बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश

महाराष्ट्र की राजनीति को झकझोरनेवाले लेटर बम पर उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की गई थी। इसमें सुनवाई पूरी हो गई थी और आदेश के लिए सोमवार का समय निश्चित था।

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मुंबई पुलिस के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के आरोपों की जांच अब सीबीआई के द्वारा की जाएगी। इस प्रकरण की सुनवाई बॉम्बे हाइकोर्ट में जारी थी। सीबीआई को अब पंद्रह दिनों में इस प्रकरण की जांच की प्रथम दृष्ट्या रिपोर्ट उच्च न्यायालय में सादर करनी होगी।

बता दें कि 20 मार्च को परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगए थे। उन्होंने पत्र में लिखा था कि गृह मंत्री ने मुंबई के पूर्व पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए हफ्ता वसूली का टारगेट दिया था। इस प्रकरण में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के अलावा तीन लोगों ने याचिका दायर की थी। जिसमें अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय, प्रोफेसर भिडे, अधिवक्ता जयश्री पाटील की याचिकाएं भी सम्मिलित हैं।

क्या हुआ न्यायालय में?
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आईपीएस परमबीर सिंह द्वारा गृहमंत्री पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीबीआई को प्राथमिक जांच (पीई) का आदेश दिया है। इसकी रिपोर्ट एजेंसी को अगले पंद्रह दिनों में देनी होगी। इस प्रकरण की सुनवाई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता और न्यायाधीश जीएस कुलकर्णी द्वारा की जा रही थी। इसमें याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने, अंतरिम राहत देने और राज्य सरकार द्वारा याचिकाओं का विरोध का प्रकरण था।

परमबीर सिंह से न्यायाधीश ने कहा…
सुनवाई कर रही बेंच ने नोटिस किया था कि, एफआईआर दायर करना अपराध के कानून में पहला कदम है। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश दिपांकर दत्ता व्यग्र थे कि बगैर एफआईआर दायर किये ही न्यायालय में स्वतंत्र जांच की मांग लेकर पहुंचना ही सबकुछ नहीं है।

बेंच ने कहा, आप (परमबीर सिंह) पुलिस अधिकारी हैं। यदि आप पाते हैं कि कोई अपराध हो रहा है तो आप जिम्मेदारी से बंधे हुए हैं कि आप एफआईआर दर्ज करें। आपने ऐसा क्यों नहीं किया? यदि आपके संज्ञान में कोई अपराध हो रहा है और आप एफआईआर दर्ज नहीं करते तो आप अपनी जिम्मेदारी को निभाने में असफल हैं। मात्र मुख्यमंत्री को पत्र लिखना काफी नहीं है।

पूरी हुई मांग
परमबीर सिंह के लेटर बम में प्रति माह सौ करोड़ रुपए इकट्ठा करने के आरोपों की जांच उच्च सदस्यीय समिति से की जाए इसकी मांग स्वत: गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी की थी। इसके अनुरूप राज्य सरकार ने अनिल देशमुख पर लगे आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया। जिसमें सेवा निवृत्त जस्टिस कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अध्यक्षता में यह कमेटी आरोपों की जांच कर रही है। जिसे 6 महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।

उलझता जा रहा है मामला
मुंबई के निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे का मामला पहले जितना सरल लग रहा था, यह उतना ही रहस्यमय बनता जा रहा है। बात मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियों कार रखने और फिर मनसुख हिरेन की रहस्यमय मौत से शुरू होते हुए वाझे तक पहुंची थी और अब इस प्रकरण ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस मामले में गृह मंत्री अनिल देशमुख के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को हटाने और राष्ट्रति शासन लागू करने तक की मांग विपक्ष कर रहा है।

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