सर्वोच्च न्यायलय ने महिलाओं की आजादी को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाल ही में महिलाओं को परमानेंट सर्विस कमीशन में शामिल होने का फैसला देने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अब एक और बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने महिलाओं को अब एनडीए यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में भी बैठने की अनुमति दे दी है। यह आदेश इसी साल 5 सितंबर को होने वाले एनडीए की परीक्षा से ही लागू होगा।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सेना ने कहा कि एनडीए परीक्षा में महिलाओं को शामिल न करना डिसीजन है। इस पर फटकार लगाते हुए न्यायालय ने कहा कि अगर यह पॉलिसी डिसीजन है तो यह भेदभाव पूर्ण है। हालांकि 5 सितंबर को परीक्षा में बैठने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन होगा।
सरकार को लगाई फटकार
इससे पहले इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने 18 अगस्त को टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाओं को एनडीए परीक्षा में मौका न देना, उनके मूलभूत अधिकारों के उल्लंघन का मामला नहीं है। यही नहीं, केंद्र सरकार ने कहा था कि एनडीए के माध्यम से आने वाले पुरुष कर्मचारियों को उनके मुकाबले करियर में कोई स्पेशल बढ़त नहीं मिलती।
फिलहाल महिलाओं के लिए सेना में एंट्री का एकमात्र रास्ता शॉर्ट सर्विस कमिशन ही रहा है।
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इससे पहले दिया था यह फैसला
पिछले दिनों ही सर्वोच्च न्यायालय ने सेना में महिलाओं को भी परमानेंट कमीश में लिए जाने को कहा था। इसके साथ ही न्यायालय ने सेना के नियमों को गलत बताते हुए कहा था कि ये व्यर्थ और मनमाने हैं। वकील कुश कालरा की ओर से महिलाओं को एनडीए और इंडियन नेवल अकादमी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया है।
न्यायालय ने केंद्र से मांगा था जवाब
न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस बारे में सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि यह याचिका आम जनहित में नहीं है बल्कि एक पॉलिसी डिसीजन को लेकर ही है। इसी पर 18 अगस्त को एक बार फिर से सुनवाई हुई, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और ऋषिकेश रॉय ने महिलाओं के पक्ष में यह फैसला दिया।