Manipur: आतंकी घटनाओं के पीछे कौन? केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी ने जारी की चेतावनी

मणिपुर पिछले पांच महीनों से अधिक काल से हिंसा की आग मे जल रहा है। मणिपुर हिंसा को लेकर देश में चिंता है, लेकिन वहां के स्थानीय आतंकी गुट इसे बढ़ाने में लगे हैं।

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मणिपुर हिंसा
मणिपुर में आनुसूचित जनजाति के आंदोलन में भड़की हिंसा के बाद सेना को बुलाया गया

मणिपुर में हिंसक गतिविधियों के पीछे आतंकी समूहों का हाथ है। इस संबंध में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आई है। एजेंसियों के अनुसार यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) और पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के आतंकी सक्रिय हो गए हैं, जो स्थानीय लोगों द्वारा किये जा रहे आंदोलनों में प्रवेश करके हिंसक गतिविधियां कर रहे हैं। ऐसी ही एक घटना में आंदोलनकारियों की ओर से गोली चलाई गई थी, जो सेना के वरिष्ठ अधिकारी को जा लगी थी।

केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां ने चेतावनी जारी की है। जिसमें आंदोलनकारियों की भीड़ में आतंकियों के प्रवेश करने के प्रति आगाह किया गया है। यह चेतावनी सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल को आंदोलनकारियों की भीड़ में से चलाई गई गोली लगने के बाद आई है। मीरा पाइबिस (Meira Paibis) नामक महिलाओं का एक संगठन मोलनोई गांव (Molnoi Village) में हमले के लिए जा हा था। उसे सेना (Indian Army) और असम राइफल (Assam Rifles) के जवानों ने रोक लिया। इससे विवाद उत्पन्न हो गया। आंदोलनकारी उग्र होने लगे, जबकि सेना और असम राइफल के अधिकारियों का प्रयत्न था कि, किसी भी रूप से भीड़ शांत हो जाए और आग न बढ़े। इसी विवाद में भीड़ में से किसी ने गोली चला दी, जो सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल त्यागी (Leutinant Colonel Tyagi) को जा लगी। इससे सेना अधिकारी के हाथ में गहरा घाव हो गया। उन्हें तत्काल एयर लिफ्ट करके उपचार हेतु ले जाया गया। इस घटना की जांच के आदेश दिये गए थे। जिसकी रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि, प्रदर्शनकारियों की भीड़ में प्रतिबंधित आतंकी समूहों के लोग सम्मिलित हो रहे हैं।

प्रतिबंधित आतंकी गुट कौन-कौन से ?
मणिपुर में कई आतंकी गुट है, जिन्हें प्रतिबंधित किया गया है। इसमें यूएनएलएफ(UNLF), पीएलए(PLA), कांगलेइ यावोल कानबा लुप (KYKL), पिपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेइपाक (PRPK) का समावेश है। सुरक्षा बलों द्वारा किये गए जांच के अनुसार मणिपुर में यूएनएलएफ के 330, पीएलए के 300, केवाइकेएल के 25 आतंकी सक्रिय हैं।

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स्थानिकों को बनाया ढाल
केवाइकेएल नामक संगठन प्रतिबंधित है, इसके बाद भी संगठन की गतिविधियां चल रही हैं। इसके कैडर जनता को ढाल बनाकर अपने आपको सुरक्षित कर रहे हैं। भारतीय थल सेना और असम राइफल ने 24 जून को 12 केवाइकेएल कैडर को पूर्वी इंफाल से गिरफ्तार किया था। इन बारह कैडर में स्वघोषित लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम टांबा उर्फ उत्तम का भी समावेश है। मोइरांगथेम टांबा 2015 में भारतीय सेना के डोग्रा रेजिमेंट के जवानों पर हमले का मास्टरमाइंड था। इस हमले में 18 भारतीय सैनिकों को वीरगति प्राप्ति हो गई थी। मोइरांगथेम टांबा का संगठन केवाइकेएल धन उगाही, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अवैध व्यवसायों में लिप्त रहा है। अब यह संगठन सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण स्थानीय लोगों को ढाल बनाकर लड़ रहा है।

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