मिशन बिगिन अगेन-4: लोकल, मेट्रो बंद शुरुआत करें तो कैसे?

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रिपोर्ट – अशोक शुक्ला
मुंबई। इन दिनों देश में कोरोना संक्रमण दिनोंदिन बढ़ रहा है। प्रतिदिन संक्रमितों का आंकड़ा एक नई उंचाई छू रहा है। लेकिन इसको दृष्टिगत रखकर अनिश्चित काल के लिए लॉकडाउन जारी नहीं रखा जा सकता है। जनता में विद्रोह की स्थिति हो जाएगी। इसीलिए सरकार ने मिशन बिगिन अगेन के अंतर्गत कामकाज को शुरू करने की अनुमति दे दी। जनता को लगा अब व्यवसाय धीरे-धीरे पटरी पर लौट आएगा लेकिन, उनका भ्रम टूट गया। शहर की लाइफ लाइन लोकल ट्रेन आम लोगों के लिए बंद है। मेट्रो का परिचालन नहीं हो रहा है इससे सबसे बड़ी समस्या उस नौकरी पेशा और छोटे व्यवसाई की है जो इन माध्यमों से प्रतिदिन कार्यस्थल पर पहुंचता था। उसके लिए मिशन बिगिन अगेन सुविधा संपन्न लोगों के लिए है जबकि उसकी झोली में तो लॉकडाउन ही है।
कोरोना के संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को सात महीने हो गए। इस बीच सरकार ने लॉकडाउन के अलग-अलग चरणों के बाद मिशन बिगिन अगेन की शुरुआत की। इसके अंतर्गत आम जनजीवन, उद्योग, व्यापार, दुकानें आदि को चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है। वर्तमान में मिशन बिगिन अगेन 4 चल रहा है जिसमें फिल्म थिएटर, जिम, गार्डन और लोकल ट्रेन को छोड़कर लगभग सारी सेवाएं शुरू हो गई हैं। लेकिन आम जनमानस के लिए बिना लोकल ट्रेन के मिशन बिगिन अगेन लॉकडाउन जैसा ही है। मीरा रोड के निवासी राजपाल सिंह बताते हैं वे एक कार्यालय में अकाउंट्स ऑफिसर हैं। उनका कार्यालय बेलापुर में है। अब सरकार का मिशन बिगिन अगेन तो आ गया लेकिन लोकल सेवा ठप है अब वे कार्यालय जाएं तो जाएं कैसे? उनका वेतन इतनी छूट नहीं देता कि वे निजी गाड़ी लें या टैक्सी से कार्यालय पहुंचें जबकि उनकी कंपनी का पक्ष है कि लॉकडाउन में वेतन देना ही समस्या है ऐसे में घर से पिकअप-ड्रॉप तो सोच भी नहीं सकते। मुंबई शहर में कंपनियों के कार्यालय सबसे अधिक दक्षिण मुंबई में हैं। इन प्रतिष्ठानों में कार्यालय के अतिरिक्त दुकानें भी है। लोकल सेवा में जनसामान्य लोगों को यात्रा प्रवेश न देने से कार्यालयों में न तो कर्मचारी पहुंच पा रहे हैं और न ही वहां कि दुकानों में ग्राहक आ रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए प्रश्न उठता है कि तब ये मिशन बिगिन अगेन है किसके लिए? मिरा रोड में रहनेवाले प्रदीप सिंह का चर्चगेट मे फास्ट फूड का व्यवसाय है। जिसमें कई लोग काम करते हैं लेकिन लोकल ट्रेन में उन्हें यात्रा की अनुमति न मिलने से वे अपना व्यवसाय नहीं शुरू कर पाए। प्रदीप सिंह की तरह ही ऐसे कई लोग हैं जिनका व्यवसाय दक्षिण मुंबई मे है लेकिन वह नहीं पहुंच पा रहे हैं। दादर के रहने वाले संकेत मजुमदार कहते हैं सरकार ने मिशन बिगिन अगेन का बीन तो बजा दिया लेकिन उस पर मंथन नहीं किया कि लोग अपनी रोजी रोटी के स्थल तक पहुंचेंगे कैसे। वे पूछते हैं क्या सरकार ये समझती है कि मुंबई या एमएमआर क्षेत्र में रहनेवाला हर व्यक्ति अपनी निजी गाड़ी से यात्रा करता है? या ये एक छलावा है जिससे जनसामान्य ये न कह पाए कि सरकार ने सबकुछ ठप ही रखा है।

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