योगी की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के शिकार हो गए विजय मिश्र! पढ़िए, भदोही के बाहुबली विधायक की थ्रिलर स्टोरी

बाहुबली विधायक विजय मिश्र जेल से बाहर रहकर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन आपराधिक संगीन पृष्ठभूमि होने के चलते सर्वोच्च न्यायालय से उन्हें जमानत नहीं मिली।

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पूर्वांचल के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी रसूख रखने वाले बाहुबली विधायक विजय मिश्र अपनी अलग पहचान रखते हैं। राजनीति में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्थितियां उनके प्रतिकूल रही हों या अनुकूल। उन्होंने अपनी पहचान की परिभाषा और मंजिल खुद गढ़ी। यूपी में चाहे किसी दल की सत्ता रही हो, लेकिन भदोही में सरकार विजय मिश्र की चलती थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में ऐसा नहीं हुआ। अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया।

विजय मिश्र सत्ता और सरकारों से भी पंगा लेने में नहीं हिचके। बसपा सुप्रीमों मायावती, अखिलेश यादव या फिर योगी आदित्यनाथ जैसे अड़ियल मुख्यमंत्री के सामने भी समझौतावादी राजनी से उन्होंने परहेज किया। हालांकि इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा और मजबूत राजनीतिक रसूख के बावजूद उन्हें जेल की सलाखों में रहना पड़ा।

देश के सर्वोच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनकी सियासी मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि मायावती शासन काल में वे जेल में रहकर ही चुनाव जीत गए थे। भदोही जिले की ज्ञानपुर विधानसभा से अब तक वह लगातार चार बार विधायक चुने जा चुके हैं। ज्ञानपुर विधानसभा में विजय मिश्र की सियासी जमीन इतनी मजबूत है कि विरोधी दल के उम्मीदवार उनके सामने खड़े होने में डिगते हैं। उनकी सियासी दबंगई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार में अमित शाह अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ जैसे लोग विजय मिश्र का नाम लिए बगैर टारगेट कर चुके हैं।

बाहुबली विधायक विजय मिश्र जेल से बाहर रहकर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन आपराधिक संगीन पृष्ठभूमि होने के चलते उच्चतम न्यायालय से उन्हें जमानत नहीं मिली । इसकी वजह से उनके समर्थकों में बेहद मायूसी है।

ज्ञानपुर विधानसभा ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है। वे ब्राह्मणों के राजनीतिक मसीहा माने जाते हैं। हालांकि उन पर कई ब्राह्मणों की हत्या का भी आरोप लगा। उन पर पूर्व सांसद पंडित गोरखनाथ पांडेय के भाई की भी हत्या का आरोप लगा। मायावती शासनकाल के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में उन्हें जेल जाना पड़ा। इस सरकार में उन पर सबसे अधिक मुकदमें दर्ज हुए।

विधायक विजय मिश्र दुष्कर्म, जमीन, फर्म पर कब्जा समेत अन्य कई मामलों में सपरिवार आरोपित है। उन्हें आगरा जेल में निरुद्ध किया गया है। विजय मिश्र का बेटा विष्णु मिश्रा इसी आरोप में फरार चल रहा है। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है। गोपीगंज थाने के कौलापुर निवासी कृष्णमोहन तिवारी ने विधायक और परिजनों के खिलाफ मकान और फर्म पर कब्जा करने का आरोप लगाया है।

भदोही पुलिस ने उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए चुनाव में आधे दर्जन से अधिक असलहे का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। योगी सरकार में विजय मिश्र पर अब तक अनगिनत मुकदमें लादे जा चुके हैं। वाराणसी की गायिका ने विजय मिश्र और उनके बेटे पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मुकदमें के बाद विजय मिश्र और उनके परिवार की मुश्किल और बढ़ गई। महिला ने वाराणसी के जैतपुर थाने में दोबारा धमकी देने का भी आरोप दर्ज कराया है।

विधायक विजय मिश्र भदोही की राजनीति में किसी को हावी नहीं होने दिया। इसका नतीजा रहा कि उन्होंने अपने हजारों दुश्मन तैयार कर लिए। मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव की छांव में उनकी सियासत पली-बढ़ी। वे मुलायम और शिवपाल सिंह के करीबी माने जाते थे। जनसभाओं में खुले मंच पर हजारों की भीड़ के सामने वह मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के चरण छूते थे और द्वारिकाधीश की उपाधि से उन्हें नवाजते थे। यही कारण था कि 2007 में भदोही उपचुनाव में सत्ता में होने के बाद भी बहुजन समाज पार्टी को चुनाव हारना पड़ा था। यहां से समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी।

उपचुनाव में जीत हासिल करने के पूर्व से ही विजय मिश्र पर शिकंजा कसा जाने लगा था। लेकिन उपचुनाव के दौरान हेलीकॉप्टर से प्रचार करने पहुंचे मुलायम सिंह यादव खुद अपने हेलीकॉप्टर में बैठाकर विजय मिश्र को ले उड़े थे। भदोही पुलिस उन्हें देखती रह गई थी। लेकिन मुलायम सिंह का बेटे अखिलेश यादव से सियासी रिश्ता टूटा तो विजय मिश्र का संबंध भी खत्म हो गया। वे अखिलेश यादव से भी दो-दो हाथ करने में पीछे नहीं रहे। इसकी वजह से ज्ञानपुर विधानसभा में उनका टिकट समाजवादी से कटकर रामरति बिंदु को दे दिया गया, लेकिन इसकी परवाह किए बगैर उन्होंने 2017 में निषाद पार्टी से चुनाव लड़ा और वह चौथी बार विजयी रहे।

बाहुबली विजय मिश्र 2017 का चुनाव जीतने के बाद नए ठिकाने की तलाश में लग गए। भाजपा से उनकी नजदीकी बढ़ने लगी। राजनीति में चर्चा होने लगी थी कि अब वे भारतीय जनता  पार्टी में जाएंगे। राज्यसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा की खुलकर मदद की। महाराष्ट्र में नितिन गडकरी के चुनाव क्षेत्र में जाकर प्रचार भी किया। लेकिन अचानक सब कुछ बदल गया और उनके खिलाफ सरकार का शिकंजा कसना शुरू हो गया। अपराधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति विजय मिश्र के खिलाफ हो गई। जेल में रहकर क्या विधायक विजय मिश्र पांचवीं बार भी चुनाव जीत पाएंगे, फिलहाल यह कहना मुश्किल होगा, लेकिन असंभव नहीं।

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