लोकसभा चुनाव 2024 में जलवा दिखाने से पहले भाजपा के सामने हैं ये चुनौतियां

मुंबई महानगरपालिका के साथ ही दो प्रदेश गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी 2022 में चुनाव होने हैं। इन प्रदेशों में भाजपा की टक्कर कांग्रेस और तेजी से उभरती अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से होगी।

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महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के साथ मिलकर फिर से सत्तासीन हो गई, लेकिन बिहार में उसे बड़ा झटका लग गया। स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की खुशी बिहार में मातम में बदल गई। राजनीति में ये कोई अनहोनी बात नहीं है और कई बार इस तरह की घटनाएं आगे सचेत रहने की सबक देती हैं। भाजपा के लिए भी ये सबक हो सकता है और भविष्य में उसके लिए अच्छा भी हो सकता है।

अगर देश के राजनैतिक घटनाक्रमों को देखा जाए, तो भाजपा के सामने 2024 आम चुनाव से पहले कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों को पार कर ही भगवा पार्टी 2024 में फिर से अपनी 2014 और 2019 की जीत को दोहरा सकती है।

मुंबई महानगरपालिका चुनाव में होगी बड़ी परीक्षा
सबसे पहले तो मुंबई महानगरपालिका के साथ ही महाराष्ट्र के पुणे, ठाणे और अन्य बड़ी महानगरपालिकाओं के चुनावों में भी उसे खुद को साबित करना होगा। ये चुनाव अगले चंद महीनों में ही होने हैं। ये चुनाव महाराष्ट्र की अन्य पार्टियों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती होंगे। इन चुनावों के परिणाम ये साबित करेंगे कि महाराष्ट्र के मतदाताओं को शिवसेना से अलग होकर शिंदे गुट बनाना और फिर भाजपा के साथ मिलकर सरकार स्थापित करना कैसा लगा है। अन्य पार्टियों के लिए भी ये चुनाव महत्वपूर्ण हैं, लेकिन भाजपा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है।  कारण यह है कि इसका देश की राजनीति में दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। देश ही नहीं, एशिया की सबसे बड़ी महानगरपालिका मुंबई पर अगर भाजपा सत्ता स्थापित करने में सफल हो जाती है तो शिवसेना को ऐसा झटका लगेगा कि उसे फिर से उठ पाना मुश्किल ही नहीं, असंभव भी हो सकता है।

गुजरात- हिमाचल में जीतना है जरूरी
मुंबई महानगरपालिका के साथ ही दो प्रदेश गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी 2022 में चुनाव होने हैं। इन प्रदेशों में भाजपा की टक्कर कांग्रेस और तेजी से उभरती अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से होगी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के पास इन दोनों राज्यों में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। अगर इनकी जीत नहीं भी होती है तो इससे इन पार्टियों को बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा। इसका कारण यह है कि हर प्रदेश में कमजोर हो रही कांग्रेस से लोगों को ज्यादा उम्मीदें भी नहीं हैं। आम आदमी पार्टी के पंजाब में सत्ता स्थापित करने के बाद हौसले बुलंद हैं। वह पूरे दमखम से इन दोनों प्रदेशों में चुनावी समर में उतरने को तैयार है। इसके बावजूद अगर उसे हार मिलती है तो भी उसे कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा।

भाजपा के लिए इज्जत का सवाल
भाजपा के लिए इन दोनों प्रदेशों में बहुमत प्राप्त करना उसकी नाक का सवाल है। इसका कारण यह है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्यों में उसकी सरकार है। इस लिहाज से उसके सामने चुनौती अन्य पार्टियों से बड़ी है। हालांकि वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता नहीं है कि इन प्रदेशों में भाजपा सत्ता स्थापित करने में कामयाब नहीं होगी, लेकिन ये भी सच है कि भाजपा या किसी भी पार्टी के लिए अति आत्मविश्वास आत्मघाती साबित हो सकता है। भाजपा के अनुभवी नेता इस बात को समझ सकते हैं।

2023 में नौ राज्यों में चुनाव
2022 के ये चुनाव 2023 में होने वाले देश के नौ प्रदेशों के चुनाव के ट्रेलर साबित होंगे। इन चुनावों के परिणाम किसी भी पार्टी के भविष्य की दिशा और दशा तय करने में मददगार साबित हो सकते हैं। 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश, चत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं।

राजस्थान में बड़ी चुनौती
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को धूल चटाना भाजपा की लिए टेढ़ी खीर है। इसका कारण ये है कि इन दोनों प्रदेशों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिख रही है, जबकि भाजपा के पास मुख्यमंत्री के रूप में कोई मजबूत चेहरा नजर नहीं आ रहा है। राजस्थान में जादूगर नाम से मशहूर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चौंकाने वाला परिणाम देने में माहिर हैं, तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी जनता में अच्छी छवि है।

मजबूत नेतृत्व जरूरी
राजस्थान मे भाजपा में नेतृत्व का आभाव स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सक्रियता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं। उनके खिलाफ गुटबाजी भी खुलकर हो रही है।  इस स्थिति में यहां पार्टी को नया और मजबूत नेतृत्व तलाशना जरूरी होगा। वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा के रमन सिंह की सक्रियता भी काफी कम हो गई है। इसलिए यहां भी भाजपा को मजबूत और नये नेतृत्व को तलाशना होगा। भाजपा इसमें कितना सफल होती है, ये चुनाव के परिणाम ही बता पाएंगे।

मध्य प्रदेश में स्थिति मजबूत
मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आ जाने और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता के चलते फिलहाल भाजपा की स्थिति मजबूत दिख रही है। लेकिन अति आत्मविश्वास हमेशा खतरनाक साबित होता है। भाजपा को इस बात को समझकर चुनाव की तैयारी करनी होगी। यहां उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस के साथ होगा।

कर्नाटक में कांग्रेस से मुकाबला
कर्नाटक में भाजपा की सरकार है और यहां बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री हैं। यहां भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला कांग्रेस के साथ ही जनता दल सेक्युलर से भी होगा। ऑपरेशन लोट्स में यहां कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी थी। इस प्रदेश में जिस तरह जिहादी सर उठा रहे हैं और जिहाद प्रकरण में विवाद पैदा हुआ है, उससे भाजपा को नुकसान पहुंचा है। खास कर केरल में पीएफआई और मुस्लिम जिहादियों ने कदम जमाने शुरू किए हैं, उससे कर्नाटक को बचाए रखना भाजपा की जिम्मेदारी है। इसके लिए 2023 के चुनाव में उसे जीत हासिल करना जरूरी है। लेकिन यह जीत वक्त के साथ मुश्किल हो सकती है। इसलिए भाजपा को अभी से इस प्रदेश में चुनाव की तैयारी तेज कर देनी चाहिए।

तेलंगाना में क्या होगा
तेलंगाना में वर्तमान में टीआरएस की सरकार है। यहां टीआरएस, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणाीय मुकाबले की संभावना है। यहां टीआरएस के के चंद्रशेखर राव मुख्यमंत्री हैं। इस प्रदेश में भाजपा के पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। अगर इस प्रदेश में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है तो यह उसके खाते में प्लस होगा।

इन प्रदेशों में भी होने हैं चुनाव
इन प्रदेशों के आलावा त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन सभी प्रदेशों में भाजपा या गठबंधन की सरकार है। इस स्थिति में इन प्रदेशों में जीत हासिल करना भाजपा के सम्मान के लिए जरूरी है। हालांकि जो वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियां हैं, उन्हें देखते हुए इन राज्यों में भाजपा मजबूत दिख रही है।

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