आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार को 7 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। न्यायालय ने राज्य सरकार के अध्यादेश पर रोक लगा दी है। इसलिए आगामी चुनाव में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल पाएगा। न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग को भी यह निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति रवि कुमार की पीठ ने राज्य सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह आदेश पारित किया।
अगली सुनवाई तक के लिए स्थगित
इस संबंध में राज्य सरकार के अध्यादेश को अगली सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि राज्य सरकार के अध्यादेश को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अब इस आरक्षण को तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि इस आरक्षण की आवश्यकता को सांख्यिकीय रूप से सिद्ध नहीं किया जाता है और न्यायालय उसे मंजूरी नहीं देता है। इसलिए, राज्य सरकार को अब इम्पेरिकल डेटा जमा करना होगा।
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निकाय चुनाव से ऐन पहले झटका
प्रदेश में आगामी नगर परिषद, जिला परिषद, पंचायत समिति और नगर परिषद चुनाव को देखते हुए ही न्यायालय का यह फैसला राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका है। आने वाले चुनावों पर इस फैसले का बड़ा असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।