बोले ‘गुलाम’- ‘सौभाग्यशाली कि कभी पाकिस्तान नहीं गया!’

गुलाम नबी आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूर्ण हो गया और 9 फरवरी को उन्हें अंतिम विदाई दी गई।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने 9 फरवरी को अपने सेवानिवृत्ति पर सदन में अपनी बात भावनापूर्ण शैली में रखी। इस दौरान आजाद ने कहा कि मैं उन भाग्यशाली लोगों में से हूं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गया। जब मैं कभी पाकिस्तान में परिस्थितियों के बारे में पढ़ता हूं, तो मुझे हिंदुस्तानी मुस्लिम होने पर गर्व होता है। उन्होंने कहा कि मैं 41 साल के संसदीय जीवन में राज्यसभा, लोकसभा और जम्मू-कश्मीर की असेंबली में रहा।

… और भावुक हो गए गुलाम
15 साल पुराना एक आतंकी हमला याद कर गुलाम नबी आजाद भावुक हो गए। उन्होंने कहा,’मेरी दुआ है कि आतंकवाद खत्म हो जाए’। कश्मीरी पंडितों और अपने 41 साल के संसदीय जीवन को याद करते हुए आजाद ने कहा,’नहीं आएगी याद तो बरसों नहीं आएगी, मगर याद आएगी तो बहुत याद आएगी।’ आजाद ने कहा कि मैं सचिवालय का भी आभारी हूं, जिसने सभापति के बीच समन्वय में अहम भूमिका तो अदा की ही, साथ ही जरुरी जानकारियां भी हमें उपलब्ध कराई।

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जिंदगी में पांच बार रोया
आजाद ने कहा कि मैं जिंदगी में सिर्फ पांच बार रोया। इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी की मौत होने पर मैं जोर-जोर से रोया। चौथी बार जब सुनामी आई तब और पाचवीं बार, जब मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद आतंकी घटना घटी।
उन्होंने कहा कि मैं अपने बीमार पिता को जम्मू में छोड़कर ओडिशा गया था। वहां मैंने समुद्र के किनारे जब लोगों की लाशें देखीं तो जोर-जोर से रोने लगा।

आतंकी घटना को याद कर हो गए भावुक
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम 15 साल पूर्व आतंकी घटना को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मैं 2005 में जब सीएम था, तो दरबार कश्मीर में रहने गया था। मई में आतंकी हमला हुआ। उस समय आतंकी ऐसे ही स्वागत करते थे। वे अपने होने का अहसाल दिलाते थे। इस आंतकी हमले के बाद जब मैं हवाई अड्डे पर पहुंचा और उन बच्चों को देखा जो यहां घूमने आए थे, लेकिन किसी ने अपने पिता को खो दिया था तो किसी ने अपनी मां को, उनमें से कुछ बच्चे मेरे पैरों से लिपटकर रोने लगे। मैं उन्हें क्या जवाब देता कि मैं उनके हवाले उनके माता या पिता की लाशें कर रहा हूं। उस समय मैं  जोर-जोर से रोया था।

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पीएम मोदी भी हो गए थे भावुक
बता दें कि राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की प्रशंसा करते हुए भावुक हो गए थे और वे रो पड़े थे। गुलाम नबी आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूर्ण हो गया है और 9 फरवरी को उन्हें अंतिम विदाई दी गई। मोदी ने उन्हें एक बहुत अच्छा मित्र बताते हुए कहा कि सदन के अगले नेता प्रतिपक्ष को आजाद द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। आजाद ने अपनी पार्टी की चिंता जिस तरह की, उसी तरह उन्होंने सदन की और देश की भी चिंता की।

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