साध्वी ऋतम्भरा के बाण… कोट पर जनेऊ पहनने वाले रामद्रोही, बहुरूपियों से रहें सावधान

साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि राम का नाम संजीवनी है। भारतवर्ष में जो सुहाग के गीत गाये जाते हैं वे राम-जानकी के होते हैं, सोहर में रामलला होते हैं। ये हमारी संस्कृति के प्राण हैं।

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देश का नेतृत्व जब जय श्रीराम का उद्घोष करता है तो दानवी भावनाएं तिलमिला उठती हैं। प्रधानमंत्री गंगा में डुबकी लगाते हैं तो उनके पेट में दर्द होता है। जिनके ज्ञान चक्षु फूटे हैं, उन्हें राम झूठे लगते हैं। वे राम का प्रमाण मांगते हैं, राम सेतु का प्रमाण मांगते हैं। श्रीराम अलौकिक युगनायक और धर्म के साक्षात विग्रह हैं। वे मानवता के उद्धारक, दानवता के संहारक, विश्व भर के सनातनियों की आस्था के केन्द्र और देश की अस्मिता हैं। कोट पर जनेऊ पहननेवाले ऐसे लोग रामद्रोही हैं, उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है।

अपने पुराने चिरपरिचित अंदाज में साध्वी ने कोट के ऊपर जनेऊ पहनने वालों को रामद्रोही बताते हुए कहा कि ऐसे बहुरुपियों से सावधान रहने की जरूरत है। श्रद्धालुओं को झंकझोरते हुए कहा कि बारह सौ साल बाद पकड़ी ध्वजा को गिरने न देना। देश और प्रदेश का नेतृत्व जब लोक भावना को देखता है, आस्था का सम्मान करता है, गंगा में डुबकी लगाता है तो रामद्रोहियों की तिलमिलाहट बढ़ जाती है। निधि समर्पण अभियान के दौरान एक नब्बे वर्षीय महिला द्वारा दिये गये पचास रुपये के मुड़े-तुड़े नोट और रामलला के प्रति श्रद्धा के भाव का प्रसंग सुनाते हुए साध्वी भावुक हो उठीं। उन्होंने कहा कि लोग पूछते थे तो मैं कहती थी कि राम जी का मन्दिर धूमधाम से बनेगा। हमारे रामलला हिन्दू स्वाभिमान की पुनर्प्रतिष्ठा अवश्य करायेंगे। उन्होंने कहा कि आप सनातन का उत्कर्ष देखिए और आपसी भेदभाव मिटाइये।

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लौटना होगा सनातन की ओर
साध्वी ने कहा कि यदि सारे संसार को सुखी होना है तो सनातन धर्म को अपनाना होगा। उन्होंने यूज एण्ड थ्रो की पद्धति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह हमारी परम्परा नहीं है। प्लास्टिक की बोतल व दोने फेंककर शस्य श्यामला मां का आंचल गंदा किया जा रहा है। आधुनिक जीवन पद्धति ने बड़ा नुकसान किया है। हमें सनातन का अनुसरण करना होगा। उन्होंने कहा कि वृक्ष वल्लरियां भारत मां के वस्त्र हैं इसका ध्यान रहे, नदियों को जीवन मिले। ऐसी निष्ठा रखें कि न पाप करेंगे न करने देंगे।

चैनलों ने डाला आंगन में डाका  
साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि देश ने लम्बे समय तक राजनैतिक गुलामी झेली किन्तु हार नहीं मानी। धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक दृष्टि से कभी गुलाम नहीं हुए किन्तु आज सैटेलाइट चैनलों ने हमारे आंगन में डाका डाल दिया है। चरित्र और नैतिकता का जो हमारा धन था उसकी धज्जियां उड़ा दीं। उन्होंने नारी से मर्यादा की रेखा पार न करने का अनुरोध करते हुए कहा कि बच्चों के चित्त में राम को प्रतिस्थापित करो। भारत की देवियां लक्ष्यविहीन नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि घूंघट हमारी प्रथा नहीं है। उत्तर भारत आक्रान्ताओं से त्रस्त रहा तो यह कुरीति जन्मी। देखना है तो दक्षिण भारत देखो। उन्होंने कहा कि भारत की देवियां कैकेयी के रूप में युद्ध मैदान में, मैत्रेयी-गार्गी के रूप में शास्त्रार्थ समर में और मन्दालसा आदि रूपों में सनातन गौरव गरिमा का प्रतिनिधित्व किया है और सावित्री के रूप यमराज का मार्ग रोकने में सक्षम रही हैं।

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