जिस विभाजन को स्वातंत्र्यवीर सावरकर नहीं टाल सके, वह दोबारा न हो, इसलिए ‘वीर सावरकर: द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ पुस्तक मार्गदर्शक है। हमारे हिंदू मानते हैं कि कृष्ण आएंगे, लेकिन कृष्ण ने युद्ध में हथियार नहीं उठाए, पांडवों को लड़ना पड़ा, हमें लड़ना होगा। 1919 में, गांधी ने खिलाफत आंदोलन में मुसलमानों का समर्थन करके और उनकी कट्टरता को बढ़ाकर विकृत प्रयास किए। परिणामस्वरूप, भारत में हिंदुओं पर अंधाधुंध अत्याचार किए गए। दिल्ली दंगों में इसे दोहराया गया था। विभाजन के समय मुस्लिम आबादी 35 फीसदी थी, आज 22 फीसदी है। कल 35% होगी और एक और विभाजन होगा, लेकिन तब गांधी नेता थे, सौभाग्य से आज नरेंद्र मोदी नेता हैं, लेकिन इसके लिए नरेंद्र मोदी को 2024 में फिर से चुना जाना चाहिए। यह चेतावनी स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने दी।
1919 में गांधी का विकृत प्रयोग
रणजीत सावरकर कहते हैं कि, हमें इतिहास से क्या सीखना चाहिए? किन गलतियों से बचना चाहिए? इसका अध्ययन करना चाहिए? वीर सावरकर 1937 में राजनीति में सक्रिय हुए, गांधी 1919 में राजनीति में सक्रिय हुए। 1919 से 1937 तक गांधी को भारतीय राजनीति में पूर्ण स्वतंत्रता मिली थी। उनके विचारों का विरोध करनेवाला कोई नेता नहीं था, इसलिए भारतीय राजनीति का अर्थ गांधी था और गांधी ही कांग्रेस थी। इसीलिए गांधी ने 1919 में राष्ट्रीय एकता के नाम पर जानबूझकर एक विकृत प्रयोग किया।
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सीएए विरोध आंदोलन, इतिहास की पुनरावृत्ति
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तुर्कीस्तान के खलिफा को बर्खास्त कर दिया गया था। एक तुर्क कमल पाशा ने वहां राष्ट्रवादी पार्टी की स्थापना की। उन्होंने विद्रोह किया, वे राष्ट्रपति बने। उन्हें अंग्रेजों का समर्थन प्राप्त था। विश्व के किसी भी देश को इस घटना का मलाल नहीं था। मात्र भारतीय मुसलमानों को ही इसका दु:ख हुआ। उन दु:ख मनानेवालों में से मोहम्मद अली और शौकत अली ने राजनीति में प्रवेश पाने और हिंदू-मुस्लिम का समर्थन प्राप्त करने के लिए भारत में खिलाफत आंदोलन शुरू किया। कांग्रेस ने खिलाफत का समर्थन नहीं किया, लेकिन गांधी ने खिलाफत का समर्थन किया, खिलाफत परिषद के अध्यक्ष बने और मुसलमानों के दंगा करने का समर्थन किया। यह प्रकरण ब्रिटिश समर्थित कमाल पाशा का था, घटना तुर्की की थी, लेकिन भारत में दंगे हिंदुओं के खिलाफ थे। उस समय हिंदू महिलाओं पर अमानवीय अत्याचार किए गए। केरल के 2 जिलों में जिहाद घोषित किया गया और हिंदुओं का नरसंहार किया गया।
सीएए एक्ट के खिलाफ दिल्ली में इस तरह के दंगों की पुनरावृत्ति देखी गई। उस दंगे का विषय सीएए एक्ट था। वह भारत के मुसलमानों से संबंधित नहीं था। विषय पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदू नागरिकों से संबंधित था। इसके खिलाफ भारत में दंगे भड़क उठे, हिंदू मारे गए। रणजीत सावरकर ने कहा कि, कांग्रेस इसका भी समर्थन करती है, सौ साल बाद इतिहास का चक्र पूरा हुआ है।
इतिहास की गलतियों से बचें
विभाजन के समय 1947 में मुस्लिम आबादी 35 प्रतिशत थी। विभाजन के बाद जब जनगणना की गई, तो जनसंख्या 8 प्रतिशत थी। आज 100 साल बाद फिर से मुसलमानों की संख्या 22% हो गई है, फिर 35% हो जाएगी, 100 साल पहले भारत के मुसलमानों ने इसी जनसंख्या के बल पर देश का बंटवारा करवाया और 80% मुसलमानों ने देश छोड़ दिया, इसे दोहराया जाएगा। अगर हम सौ साल पहले की तरह विभाजित नहीं होना चाहते हैं, तो हमें अपनी गलतियों से बचना चाहिए। 1920 में गांधी नेता थे, सौभाग्य से आज हमारे पास नरेंद्र मोदी का नेतृत्व है। मोदी कर रहे हैं, लेकिन क्या हम कुछ नहीं करना चाहते? 2014 में जब हिंदू-समर्थक वैचारिक सरकार सत्ता में आई, तो चमत्कार हुआ। अगर उन चमत्कारों को दोबारा करना है, तो उन्हें 2024 में फिर से निर्वाचित होना होगा। प्याज और आलू से सरकार गिरानेवालों को शर्म आनी चाहिए। 5 रुपए में बिजली देने का वचन देने पर सरकार बदलते हो, यदि यह सरकार चली जाती है और दूसरे किसी की सरकार आती है तो यह देश के लिए विनाशक साबित होगा।