किसान आंदोलनः कब तक टिके रहेंगे टिकैत?…. पढ़िए पूरी खबर

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 6 फरवरी को दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा। उन्होंने समर्थकों से अपील की है, जो लोग दिल्ली नहीं आ पाए, वे अपनी-अपनी जगह पर ही 6 फरवरी को शांतिपूर्ण तरीके से चक्का जााम करें।

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कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर जारी कुछ किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच देश की पूरी राजनीति इसी मुद्दे पर फोकस हो गई है। किसान संगठन किसी भी हालत में अपनी मांग मनवाने पर अड़े हुए हैं, वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहता। इस बीच सरकार की आंदोलन समाप्त कराने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित होती दिख रही हैं। 11वें दौर की बातचीत में केद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं को अगले डेढ़ साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करने का ऑफर दिया था। साथ ही उन्होंने सरकार और किसानों की संयुक्त समिति बनाकर मामले का समाधान तलाशने की भी पेशकश की थी। लेकिन किसान संगठनों ने इस ऑफर को ठुकरा दिया।

 दिल्ली में चक्काजाम नहीं
अब किसान संगठन एक बार फिर सरकार पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने 6 फरवरी को दिल्ली में चक्का जाम करने का ऐलान किया था, लेकिन 5 फरवरी को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि 6 फरवरी को दिल्ली में चक्का जाम नहीं होगा। उन्होंने समर्थकों से अपील की है, जो लोग दिल्ली नहीं आ पाए, वे अपनी-अपनी जगह पर ही 6 फरवरी को शांतिपूर्ण तरीके से चक्का जााम करें। राजेवाल ने कहा था कि दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक दिल्ली में सड़कों पर चक्का जाम किया जाएगा।

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ये हो सकते हैं कारण
दिल्ली में चक्का जाम के ऐलान को रद्द किए जाने के पीछे दो कारण माने जा रहे हैं। पहला -26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद आरोपियों की हो रही धर-पकड़ और कार्रवाई तथा दूसरा सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार तथा दिल्ली पुलिस द्वारा उठाए गए कड़े कदम। माना जा रहा है कि बॉर्डर पर जिस तरह की पुलिस ने कीलेबंदी के साथ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा रखी है, उस कारण किसान दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से मजबूरी में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को दिल्ली में चक्का जाम का प्रोग्राम रद्द कर देना पड़ा। यह दिल्ली पुलिस के साथ ही पूरे देश के लोगों के लिए राहत की बात है।

ये भी है राहत की बात
अच्छी बात यह भी है कि अब टिकैत खुद बार-बार अपने समर्थकों से आंदोलन शांतिपूर्वक करने की अपील कर रहे हैं। जींद जिले के कंडेला गांव में आयोजित खाप महापंचायत में भी उन्होंने बार-बार कहा कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करें।

7 फरवरी को फिर महापंचायत
वैसे 6 फरवरी के प्रस्तावित चक्का जाम को भले ही टिकैत ने रद्द करने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति पर वे काम करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने 7 फरवरी को दादरी के चरखी गांव में महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया है। सांगवान खाप पंचायत के मुखिया सोमबीर संगवान ने इस बात की जानकारी दी है। हाल ही में जिंद के कंडेला गांव में आयोजित खाप महापंचायत में हजारों किसान शामिल हुए थे। इस वजह से टिकैत समेत अन्य किसान नेताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। अब 7 फरवरी को महापंचायत में एक बार फिर किसानों की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। इस महापंचायत में टिकैत अपनी आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे।

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गाजीपुर बॉर्डर पर हिंदुस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर जैसे हालाातः विपक्ष
इस बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को 10 विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने पत्र लिखा है। पत्र में गाजीपुर बॉर्डर पर हालात भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे बताए गए हैं, जबकि किसानों की स्थिति जेल में कैदियों जैसी बताई गई है। शिरोमणि अकाली दल, द्रमुक, राष्ट्रवादी कंग्रेस पार्टी और टीएमसी-कांग्रेस समेत इन पार्टियों के 15 सांसद गाजीपर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने गए थे लेकिन मिल नहीं सके थे। दौरे का समन्वय कर रही एसएडी की सांसद हरसिमरत कौर बादल के मुताबिक नेताओं को बैरीकेड पार करने और प्रदर्शन स्थल पर जाने की इजाजत नहीं दी गई। इनके आलावा एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, द्रमुक की कोनिमोई और तिरुची शिवा, टीएमसी के सौगत रॉय भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।

बजट में किसानों को नजरअंदाज करने का आरोप
किसान संगठनों ने 1 फरवरी को पेश किए गए बजट में किसानों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही विभिन्न जगहों पर इंटरनेट बंद किए जाने का भी उन्होंने विरोध किया है।

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