रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भविष्य के युद्धों में लॉजिस्टिक्स की अहम भूमिका होगी। इसीलिए सेनाओं के बीच तालमेल की जरूरत को देखते हुए नीतियों में कई बदलाव किये गए हैं। डिफेंस सेक्टर में लॉजिस्टिक्स की भूमिका को देखते हुए पिछले तीन वर्षों में बदली गईं नीतियों में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल पर ज्यादा जोर दिया गया है। तीनों सर्विसेज के बीच ट्रेनिंग के संदर्भ में भी तालमेल की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 12 सितंबर को नई दिल्ली में भारतीय सेना की पहली रसद संगोष्ठी ‘सामंजस्य से शक्ति’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी सर्विसेज में अनेक जगहों पर कुछ सामान्य रसद की जरूरत होती है। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के साथ हम सर्विसेज के बीच की संयुक्तता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के अलावा भी सरकार ने लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर का महत्व समझते हुए इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ाया है।
अनेक महत्वपूर्ण नीतियां तैयार
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हम सब देश में विश्व स्तरीय सड़कें, हाइवे और एक्सप्रेस-वे का निर्माण होता हुआ देख रहे हैं। ऐसे में देश में लॉजिस्टिक्स को एकीकृत करने और देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण नीतियां तैयार की हैं। इसमें नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी, पीएम गतिशक्ति प्लेटफॉर्म एवं अन्य प्रयासों से बुनियादी ढांचे का विकास पर जोर देना शामिल हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारा देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भविष्य में चाहे युद्ध क्षेत्र हो अथवा नागरिक क्षेत्र, दोनों की गंभीरता बढ़ने ही वाली है।
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अर्थव्यवस्था में रसद आपूर्ति प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने कहा कि किसी देश की अर्थव्यवस्था को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मजबूत, सुरक्षित और शीघ्र रसद आपूर्ति प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हम सुबह उठने से लेकर रात सोने तक लॉजिस्टिक्स से दो-चार होते रहते हैं। हमारा खाना-पीना, पहनना-ओढ़ना, पढ़ना-लिखना या बिजनेस, हर चीज लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट से जुड़ी हुई है। इस सेमिनार में सेना के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण हितधारक जैसे रेलवे, सिविल एविएशन, कामर्स एंड इंडस्ट्री, अर्धसैनिक बल, अकादमिक और उद्योग भी हिस्सा ले रहे हैं।