सेहरे का संघर्ष पंजाब कांग्रेस में समाप्त ही नहीं हो रहा है। अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सुखजिंदर सिंह रंधावा में कलह स्पष्ट रूप से सामने आ गया है। रंधावा ने तो यहां तक का कह दिया है कि, नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस का कल्चर सीखना चाहिए।
पंजाब कांग्रेस का दूल्हा कौन, इसको लेकर सबसे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब के उपमुख्यमंत्री (गृहमंत्री) सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को सलाह दी है कि वे कांग्रेस का कल्चर सीखें। यह विवाद है आगामी विधान सभा चुनावों में दूल्हा कौन होगा इसको लेकर।
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कल्चर सीखें सिद्धू
पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अगले चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे, इस पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। रंधावा ने कहा है कि, वर्तमान में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ही हमारे दूल्हा हैं। चुनावों के बाद कौन दूल्हा होगा इसका निर्णय विधायक करेंगे। कांग्रेस में नाम घोषित करने की कोई परंपरा नहीं है। सिद्धू की महत्वकांक्षा बहुत अधिक है। उन्हें कांग्रेस का कल्चर सीखना चाहिए।
असली दूल्हा बाहर, पंजाब का निर्णय करे कौन
पंजाब कांग्रेस में चल रही आंतरिक लड़ाई की क्षति पार्टी को उठानी पड़ रहा है। पार्टी के नेता ही पंजाब को कांग्रेस मुक्त करने में लगे हैं। मुद्दा तो यह भी उठ रहा है कि, अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के असली दूल्हा (राहुल गांधी) तो चुनावों से पहले ही विदेश चले गए हैं, ऐसे में नेतृत्व का फैसला कौन करेगा?
कांग्रेस को पंजाब में उस समय बड़ा धक्का लगा था जब कैप्टन अमरिंदर सिंह 52 साल के अपने सियासी सफर में 22 साल कांग्रेस में रहने के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह के बाद 18 सितंबर को सीएम पद छोड दिया । पिछले साल 23 जुलाई को नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस में लड़ाई खुलकर सामने आ गई। कांगेस का पहली बार एससी सीएम बनाने का दांव भी काम नहीं आया। 20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के 16वें मुख्यमंत्री बने लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने उन पर हमला जारी रखा । पंजाब के एडवोकेट जरनल को बदलवाने से लेकर कई फैसलों को नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री के कई फैसलों को बदलवा दिया ।
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