Public Examination Bill: परीक्षाओं में चोरी करना पड़ेगा भारी, विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास

केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने शुक्रवार 9 फरवरी को राज्यसभा में लोक परीक्षा विधेयक चर्चा के लिए पेश किया। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य युवाओं को समान अवसर प्रदान करना और समयबद्ध तरीके से चयन की प्रक्रिया को पूरा करना है।

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Public Examination Bill: सार्वजनिक परीक्षाओं (public examinations) में होने वाली गड़बड़ियों की रोकथाम के लिए लाए गए विधेयक को शुक्रवार 9 फरवरी को संसद (Parliament) के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई। विधेयक को लोकसभा (Lok Sabha) पहले ही पारित कर चुकी है और आज यह राज्यसभा (Rajya Sabha) से भी पारित हो गया।

केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री (Minister of State for Public Grievances and Pensions) डॉ. जितेन्द्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने शुक्रवार 9 फरवरी को राज्यसभा में लोक परीक्षा विधेयक चर्चा के लिए पेश किया। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य युवाओं को समान अवसर प्रदान करना और समयबद्ध तरीके से चयन की प्रक्रिया को पूरा करना है। डॉ. सिंह ने कहा कि 2014 में सत्तारूढ़ होने के बाद मोदी सरकार ने युवाओं को समान अवसर प्रदान करने की दिशा में प्रयास किया। रोजगार की प्रक्रिया को सीधा और सरल किया गया है।

परीक्षा पश्न पत्र नहीं होगा लिक
लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक (Public Examinations Prevention of Unfair Means Bill)-2024 का उद्देश्य परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी की रोकथाम करना है। इसमें कई कड़े प्रावधान किए गए हैं और आवश्यकता पड़ने पर मामले को केंद्रीय एजेंसियों को सौंपे जाने का भी प्रावधान है। गलत तरीके से परीक्षा पश्न पत्र, उसकी सामग्री और जवाब लीक करने तथा अवैध तरीकों से परीक्षार्थी को पास कराने पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान हैं।

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10 लाख रुपये तक का जुर्माना
विधेयक के प्रावधानों के तहत किसी भी अपराध की जांच पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त के पद से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा। विधेयक के तहत गलत तरीके से परीक्षा पास करने वाले को तीन साल की कैद की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। परीक्षा से जुड़ी सेवाएं देने वालों पर करोड़ रुपये तक का जुर्माना और परीक्षा की आनुपातिक लागत वसूलने और चार साल के लिए प्रतिबंध का प्रावधान है। संगठित अपराध में शामिल लोगों को 10 साल तक की सजा हो सकती है। संगठित अपराध में शामिल संस्थान की संपत्ति कुर्क हो सकती है।

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