प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने के अपने अभियान के तहत 9 सितंबर को राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट के पास आजादी की लड़ाई के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया तथा राष्ट्रपति भवन तक जाने वाले मुख्य मार्ग राजपथ का नामकरण ‘कर्तव्य पथ’ के रूप में किया।
गुलामी के दौर में राजपथ का नाम किंग्सवे था तथा इंडिया गेट के पास एक छतरी के नीचे ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम की प्रतिमा स्थापित थी। आजादी के कुछ वर्ष बाद जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटा दी गई थी। इसके बाद यह स्थान खाली पड़ा था।
खास बातेंः
प्रधानमंत्री ने 28 फुट ऊंची और छह फुट चौड़ी नेताजी की प्रतिमा का अनावरण करने के साथ ही राजपथ का ‘कर्तव्य पथ’ के रूप में विधिवत नामकरण किया।
इस मौके पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है। ये न शुरुआत है, न अंत है। ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक, निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है।
उन्होंने कहा कि अगर पथ ही राजपथ हो, तो यात्रा लोकोनमुखी कैसे होगी? राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे। राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसकी वास्तुशैली भी बदली है और इसकी आत्मा भी बदली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा अब हमें प्रेरित करेगी और हमारा मार्गदर्शन भी करेगी।
प्रधानमंत्री ने पुराने कानूनों को निरस्त करने सहित कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि परिवर्तन केवल प्रतीकों तक सीमित नहीं है बल्कि अब नीतियों का हिस्सा है। पिछले 8 सालों में हमने कई फैसले लिए जिनमें नेताजी के आदर्शों और सपनों की छाप है।
मोदी ने देशवासियों से कहा कि कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है। ये भारत के लोकतान्त्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। यहां जब देश के लोग आएंगे, तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल, ये सब उन्हें बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे। उन्होंने कहा, “आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं। आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं। आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं।”
प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद के काल खंड में नेताजी के योगदान की उपेक्षा का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता लेकिन दुर्भाग्य से, आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया। उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया।
प्रधानमंत्री ने आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में देश को आज एक नई प्रेरणा और नई ऊर्जा मिली है। आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है।
प्रधानमंत्री ने इससे पहले इंडिया गेट पर कर्तव्य पथ के पुनर्विकास से जुड़ी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास कार्य में शामिल श्रमजीवियों से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड में सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना पर काम करने वाले सभी लोगों उनके विशेष अतिथि होंगे।
सरकार के अनुसार सत्ता के प्रतीक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जन प्रभुत्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण है। यह कदम प्रधानमंत्री के ‘पंच प्राण’ में से एक की तर्ज पर है यानी ‘औपनिवेशिक मानसिकता का कोई भी निशान मिटाएं।’
सरकार के अनुसार वर्षों से, राजपथ (अब कर्तव्यपथ) और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के आसपास के इलाकों में आगंतुकों की बढ़ती भीड़ का दबाव देखा जा रहा था, जिससे इसके बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ रहा था। इसमें सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। इसके अलावा, मार्गों के पास अपर्याप्त बोर्ड, पानी की खराब सुविधाएं और बेतरतीब पार्किंग थी। साथ ही, गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान कम गड़बड़ी और जनता की आवाजाही पर कम से कम प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता महसूस की गई। इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्विकास किया गया जबकि वास्तु शिल्प का चरित्र बनाये रखने और अखंडता भी सुनिश्चित की।
कर्तव्य पथ बेहतर सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लॉन, हरे भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, मार्गों के पास लगे बेहतर बोर्ड, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे। इसके अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा। इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएं शामिल हैं।
वहीं प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। यह प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है और देश के उनके प्रति ऋणी होने का प्रतीक है। मुख्य मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 28 फुट ऊंची और छह फुट चौड़ी प्रतिमा को एक ग्रेनाइट पत्थर से उकेरा गया है और इसका वजन 65 मीट्रिक टन है।
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