जानिये, पीएम के मन की खास बात!

पीएम ने कहा,हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिक महत्व को समझें, उसके पीछे के अर्थ को समझें। इतना ही नहीं, हर पर्व कोई न कोई संदेश देता है, कोई न कोई संस्कार देता है। हमें इसे जानना भी है और जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रुप मे आगे भी बढ़ाना है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 80वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में पीएम ने कई मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को याद किया और कहा कि उनका जीवन खेल के लिए समर्पित था। पीएम ने कहा कि देश को कितने ही मेडल क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में मेडल नहीं मिलता, तब तक देश का कोई भी नागरिक विजय के आनंद का अनुभव नहीं कर सकता और अच्छी बात यह है कि इस बार हमें चार दशक बाद ओलंपिक में मेडल प्राप्त हुआ है।

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पीएम के मन की खास बातें

  • मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस पर हर वर्ष 29 अगस्त को हम राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाते हैं। हॉकी के ऐसे जादूगर के सम्मान में देश का सर्वोच्च खेल रत्न पुरस्कार अब उनके नाम पर देने का फैसला किया गया है।
  • अब देश में खेल-कूद रुकना नहीं है। इस गति को पारिवारिक जीवन में, सामाजिक जीवन में, राष्ट्र जीवन में स्थायी बनाना है, ऊर्जा से भर देना है, निरन्तर नई ऊर्जा से भरना है।
  • हर परिवार में खेलों को लेकर चर्चा होने लगी है। क्या हमें इसे रुकने देना चाहिए ,अब खेल-कूद को रुकना नहीं है। इस गति को रोकना नहीं है। अब हमारे खेल के मैदान खिलाड़ियों भरे हुए होने चाहिए।
  • पिछले दिनों जो प्रयास हुए हैं, इनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरुरकता आई है। अब समय आ गया है कि हम अपने प्रयास को आगे बढ़ाएं। हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है और सरल भी है।
  • हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिक महत्व को समझें, उसके पीछे के अर्थ को समझें। इतना ही नहीं, हर पर्व कोई न कोई संदेश देता है, कोई न कोई संस्कार देता है। हमें इसे जानना भी है और जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रुप मे आगे भी बढ़ाना है।
  • हमने अभी कुछ समय पहले ही अपने अंतिरक्ष को खोला था और देखते ही देखते युवा पीढी ने उस मौके को पकड़ लिया। इसका लाभ उठाने के लिए कॉलेजों के छात्र, यूनिवर्सिटी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले नौजवान बढ़-चढकर आगे आए हैं। मुझे पक्का भरोसा है कि आने वाले दिनोंं में बड़ी संख्या ऐसे उपग्रहों की होगी, जिस पर हमारे युवाओं ने काम किया होगा।
  • आज का युवा बने बनाए रास्तों पर नहीं चलना चाहता। वे नए रास्ते बनाना चाहते हैं। अनजानी जगह पर कब्जा करना चाहते हैं। मंजिल भी नई और लक्ष्य भी नए, राह भी नई और चाह भी नई। भारत का युवा मन ठान लेता है तो उसे पूरा करने के लिए जी जान लगा देता। दिन रात मेहनत करता है।

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