‘आंदोलन जीवी’ ‘एफडीआई’ से सावधान पीएम का क्या है संकेत?

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव में संबोधित किया। राज्य सभा में पीएम ने विभिऩ्न मुद्दों का उल्लेख किया। किसानों के लिए अपील की तो विपक्ष को उन्होंने घेरा भी।

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राज्य सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को जमकर घेरा। उनके भाषण में किसान आंदोलन को लेकर नेताओं के बदल रहे रंगों पर तल्खी देखने को मिली। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर किसानों से खास अपील की है। इसके अलावा उन्होंने संसद से किसानों को न्यूयतम समर्थन मूल्य को लेकर आश्वस्त किया। पीएम के भाषण में एक प्रमुख बात जो उठकर सामने आई है वो है कि आंदोलन के जरिये देश के वातावरण को गरम करने का जो लोग प्रयत्न कर रहे हैं उनकी खैर नहीं है।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, सरकार ने संशोधित कृषि कानूनों में उन्हीं सुधारों को शामिल किया है जो पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित किये थे। उन्होंने अपने भाषण में ‘आंदोलन जीवी’ नामक एक नई संज्ञा का उल्लेख किया और कटाक्ष किया।

देश में आ गए ‘आंदोलन जीवी’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश में पहले परजीवी होते थे वैसे ही अब आंदोलन जीवी हो गए हैं। ये हर आंदोलन, धरना प्रदर्शन में देखे जा सकते हैं। ये अधिवक्ता, छात्र, मजदूर आंदोलन समेत हर स्थान पर स्पष्ट या अस्पष्ट रूप से शामिल हो जाते हैं। ये बगैर ‘आंदोलन’ के नहीं रह सकते। उनका पता लगाना है और उनसे देश की रक्षा करना है। प्रधानमंत्री द्वारा किया गया ये उल्लेख कटाक्ष से परे बहुत कुछ कहता है। इसके अनुसार आनेवाले दिनों में आंदोलन के पीछे के हाथों पर कार्रवाई का डंडा चल सकता है। प्रधानमंत्री ने एफडीआई (विदेशी विध्वंसी विचार) से सावधान रहने के लिए कहा है।

समर्थन मूल्य़ था है और रहेगा
प्रधानमंत्री ने राज्य सभा में सभी को आश्वस्त किया कि किसानों की उपज को खरीदने के लिए न्युनतम समर्थन मूल्य था, है और रहेगा। कृषि कानून को लेकर उन्होंने कहा कि सदन में मात्र आंदोलन पर बात हुई है, कृषि सुधारों पर चर्चा नहीं हुई है। पीएम ने लाल बहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए कहा कि जब उन्होंने कृषि सुधारों को लागू किया था तो उन्हें भी विरोध का सामना करना पड़ा था।

गालियों को मेरे खाते में जाने दो लेकिन…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, गालियों को मेरे खाते में जाने दें लेकिन सुधारों को तो होने दें। वृद्ध आंदोलन में बैठे हैं उन्हें घर जाना चाहिए। सरकार चर्चा कर रही है। कृषि क्षेत्र में सुधारों को लेकर चर्चा होती रहनी चाहिये। सन 2014 से हम किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सुधार कर रहे हैं। पीएम किसान योजना, फसल बीमा ने सुधार किये हैं। गम निरंतर छोटे किसानों की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं।

ये कोई पश्चिमी 
भारतीय लोकतंत्र कोई पश्चिमी समाज नहीं है। यह एक मानव समाज है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थाओं से परिपूर्ण है। प्राचीन भारत में 81 लोकतंत्रों के प्रमाण मिलते हैं।

जब विश्व परेशान था हमारा निवेश बढ़ रहा था
प्रधानमंत्री ने कहा महामारी काल में जब पूरा विश्व परेशान था। सभी अर्थ व्यवस्थाएं ठप पड़ी थीं। भारत में रिकॉर्ड निवेश हुआ है। महामारी के टीकाकरण में भी हमने विश्व में रिकॉर्ड बनाया है। अब तक 58 लाख लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है।

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