पाकिस्तान: क्यों विद्रोह की राह पर हैं सेना और पुलिस? पढ़ें विस्तृत खबर

पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने कट्टरवाद और उग्रवाद की जिस पौध को रोपा था, उसका उपयोग करके अब सत्ता परिवर्तन का खेल हो रहा है। समस्याओं से लोगों का ध्यान बांटने में भले ही यह प्रयत्न सफल लगता हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के छीछालेदर भी भयंकर हो रही है।

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पाकिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति खड़ी है। फ्रांस के विरोध में उतरी कट्टरवादी शक्तियां हिंसा कर रही हैं। इस विद्रोह को दबाने के लिए सरकार भी पैंतरे खेल रही है। इस बीच कट्टरवादियों के समर्थन में सेना और सुरक्षा बलों का एक धड़ा भी तैयार है। जो सरकार के विरुद्ध कभी भी विद्रोह का बिगुल फूंक सकता है।

इस समय देश की सड़कों पर तहरीक ए लब्बैक नामक एक कट्टरवादी संगठन ने प्रचंड विद्रोह खड़ा किया है। उसके प्रदर्शनकारियों ने संपत्तियों का बड़ा नुकसान किया। पुलिसवालों को बंधक बना लिया था। हालांकि, इसमें तहरीक के दर्जनों प्रदर्शनकारी भी पुलिस की गोली का निशाना बने हैं। सरकार ने तहरीक के नेता साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार कर लिया है। कट्टरवादी और उग्रवादी समूहों के बढ़ते दवाब के बाद इमरान खान सरकार ने तहरीक ए लब्बैक की मांग पर पार्लियामेंट में चर्चा की बात मान ली है।

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असेंबली में प्रस्ताव

  • फ्रांस के विरुद्ध कट्टरपंथियों के उत्पात से डरकर पाकिस्तान नेशनल असेंबली में एक प्रस्ताव पारित किया गया
  • इस प्रस्ताव में फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने के मुद्दे पर होगी बहस
  • प्रस्ताव तहरीक ए लब्बैक के मौलाना साद रिजवी के दबाव के लाया गया
  • पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने बनाई दूरी, इमरान के कारण हो रही समस्या वही निपटाएं

सरकार कीं पैंतरेबाजी
पाकिस्तान महंगाई, कोरोना, चौपट अर्थ व्यवस्था की समस्या से जूझ रहा है। इस बीच मौलाना साद हुसैन रिजवी के प्रदर्शन ने बड़ा संकट खड़ा कर दिया। इसे दबाने के लिए सरकार ने अन्य प्रांतों से पुलिस की बेकार पड़ी गाड़ियों को लाहौर की ओर भेज दिया है। जिससे प्रदर्शानकारियों के उन्माद को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा सके।

ऐसी है तहरीक ए लब्बैक

  • तहरीक ए लब्बैक बरेलवी पंथ को माननेवाला सुन्नी कट्टरवादी दल
  • इसकी शुरुआत खादिम हुसैन रिजवी ने 1 अगस्त, 2015 को की
  • पैगंबर मोहम्मद या इस्लामी कानून में परिवर्तन की प्रचंड विरोधी धार्मिक उन्मादी आंदोलन हैं इसकी पहचान
  • पहला प्रदर्शन मुमताज कादरी के समर्थन में किया
  • मुमताज कादरी पंजाब के गवर्नर सलमान तासेर का हत्यारा अंगरक्षक
  • गवर्नर ने किया था आसिया बीबी का समर्थन
  • हत्या में मुमताज कादरी को मिला मृत्यु दंड
  • तहरीक ए लब्बैक ने खुलकर किया मुमताज का समर्थन
  • सरकार के विरोध में सड़कों पर किया आंदोलन

सेना और आईएसआई का समर्थन

  • तहरीक ए लब्बैक समेत कट्टरवादी संगठनों को प्रोत्साहित करके राजनीति में स्थान दिलाने का कार्य पाकिस्तानी सेना करती है। जिससे राजनीतिक समीकरणों को अपने अनुसार बदला जा सके। 2018 के आम चुनावों में इस प्रयोग ने सफल परिणाम भी दिया, जब रुढ़िवादी मतदाताओं पर आधारित पीएमएल-एन में से कट्टरवादी मतदाताओं को अलग कर लिया गया। इसका परिणाम हुआ कि पीएमएल-एन के उम्मीदवारों को पीटीआई के सामने हार का मुंह देखना पड़ा।
  • 8 नवंबर, 2017 को फैजाबाद में हुए तहरीक ए लब्बैक के प्रदर्शन में भी सेना और आईएसआई की बड़ी भूमिका थी। इसमें 2017 के इलेक्शन बिल में बदलावों को लेकर तहरीक ने प्रदर्शन किया और कानून मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे की मांग की। इस प्रदर्शन में पंजाब रेंजर्स के महानिदेशक मेजर जनरल अजहर नाविद हयत लोगों को हजार रुपये भरे लिफाफे बांटते दिखे। फैजाबाद प्रदर्शन का सुओ मोटो संज्ञान लेते हुए जस्टिस काजी फैज ने महानिदेशक आइएसपीआर और आईएसआई को आदेश दिया कि वे अपने क्षेत्र में सीमित रहकर कार्य करें। इसका परिणाम हुआ कि जस्टिस काजी फैज को भ्रष्टाचार समेत कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।

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फ्रांस के विरोध का कारण

  • अक्तूबर 2020 में फ्रांस के शिक्षक सैमुएल पेटी की गला कटकर हत्या कर दी गई थी। उन्होंने मोहम्मद का कार्टून बनाकर उसे सार्वजनिक किया था जो इस्लामी कट्टरवादियों को रास नहीं आया। इस हत्या का सर्वत्र विरोध हुआ। फ्रांस के राष्ट्रपति एमेनुएल मेक्रोन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करते हुए ऐसे कार्टूनों के सार्वजनिक करने का समर्थन किया। इसका पाकिस्तान में तीव्र विरोध हुआ। इस विरोध के अंतर्गत तहरीक एक लब्बैक ने मांग की थी कि फ्रांस के सामानों का बहिष्कार, फ्रांस के साथ संबंधों को तोड़ लिया जाए। 16 नवंबर 2020 को यह प्रदर्शन उस समय खत्म हुआ जब पाकिस्तान सरकार ने तहरीक ए लब्बैक को एक समझौते में आश्वस्त किया कि वो इस मुद्दे पर पार्लियामेन्ट में चर्चा कराएगी।
  • 11 अप्रैल 2021 को तहरीक ए लब्बैक के नेता साद हुसैन रिजवी ने एक वीडियो जारी करके अपने कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन करने के लिए कहा। ये प्रदर्शन फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने के लिए था। साद हुसैन रिजवी तहरीक ए लब्बैक के संस्थापक खादिम रिजवी के पुत्र हैं।
  • 12 अप्रैल 2021 को साद हुसैन रिवजी को लाहौर में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद देश में प्रदर्शन तेज हो गया। उनकी पार्टी के लोगों ने लाहौर, इस्लामाबाद, पेशावर, गुजरानवाला की सड़कें जाम कर दीं। भारी पथराव हुआ जिसमें कई लोगों की मौत हो गई।
  • 13 अप्रैल 2021 को प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस अधिकारी को पीटकर मार डाला। इसमें 40 अन्य पुलिसवाले घायल हुए। तहरीक के प्रवक्ता तय्यब रिजवी ने बताया कि प्रदर्शनों में उनकी पार्टी के 12 लोग मारे गए।
  • 15 अप्रैल 2021 को फ्रांसिसी दूतावास ने पाकिस्तान में रहनेवाले अपने सभी नागरिकों और कंपनियों को पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने तहरीक ए लब्बैक को आतंक निरोधी कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित कर दिया।
  • 16 अप्रैल 2021 को पाकिस्तान सरकार ने इस दल के सभी सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिये।
  • 18 अप्रैल 2021 को लाहौर के यतीम खाना चौक पर परिस्थिति बेकाबू हो गई। जिसमें तहरीक के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इसमें तीन लोगों मारे गए और 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस प्रदर्शन में भीड़ ने एक एसपी समेत पांच पुलिसवालों को बंधक बना लिया था।
  • 19 अप्रैल 2021 को तंजीमत अहल ए सुन्नत के नेता मुफ्ती मुनीब उर रहमान ने देशव्यापी बंद की घोषणा की। इसका समर्थन जेयूआई-एफ मुखिया फजलुर रहमान समेत इस्लामी उग्रवादी गुटों ने भी किया। इसमें तहरीक के गिरफ्तार लोगों को छोड़ने और पाकिस्तान के गृहममंत्री शेख रशीद पर कार्रवाई की मांग की गई थी।
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