…तभी मनपा में होगा ‘मंगल प्रभात’!

भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के मुंबई मनपा चुनावों में 82 सीटें अर्जित की थी। उस समय पीएम नरेंद्र मोदी की लहर और मुंबई मनपा चुनावों के लिए आशीष शेलार जैसा अनुभवि नेतृत्व था। जो मनपा की पूरी कार्यप्रणाली को समझते और जानते थे। इसका परिणाम हुआ कि उस चुनाव में बीजेपी के फूल भी शिवसेना को शूल जैसे लगे और उसका संख्याबल नीचे आ गया।

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मुंबई मनपा चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है। बीजेपी ने भी कमर कस ली है। इसके लिए बीजेपी ने अपना प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है। इस बीच सुगबुगाहट इसको लेकर शुरू हो गई है कि क्या मुंबई के अध्यक्ष और मनपा चुनावों के प्रभारी के बीच समन्वय बैठ पाएगा? क्योंकि इसी प्रश्न का उत्तर मुंबई मनपा में बीजेपी का ‘मंगल प्रभात’ लाएगा।

भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के मुंबई मनपा चुनावों में 82 सीटें अर्जित की थी। उस समय पीएम नरेंद्र मोदी की लहर और मुंबई मनपा चुनावों के लिए आशीष शेलार जैसा अनुभवि नेतृत्व था। जो मनपा की पूरी कार्यप्रणाली को समझते और जानते थे। इसका परिणाम हुआ कि उस चुनाव में बीजेपी के फूल भी शिवसेना को शूल जैसे लगे और उसका संख्याबल नीचे आ गया।

इस बार स्थिति कुछ अलग लग रही है। अतुल भातखलकर बीजेपी के जमीनीस्तर के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने युवाकाल से बीजेपी को अपना पूरा समय दिया है और अब विधायक के रूप में दूसरा कार्यकाल निभा रहे हैं। फिर भी नगरसेवक और मनपा के गहन अध्ययन की जब बात होती है तो शेलार की तुलना में वो कम ही साबित होंगे। ऐसे में अब उनके हाथों में मुंबई मनपा चुनावों का प्रभार सौंपा गया है। इसी प्रकार मुंबई के बीजेपी विधायकों में मंगल प्रभात लोढ़ा पुराने विधायक हैं। उनके पास विधायक पद का अच्छा अनुभव, पैतृक संपदा में जनसंघ की विचारधारा मिली है। लेकिन ये दोनों ही नेता मुंबई महानगरपालिका के अंदरखाने की बातों से पूर्णरूप से परिचित नहीं हैं।

अध्यक्ष के अधिकारों पर उंगली तो नहीं…

मंगल प्रभात लोढ़ा बीजेपी की सरकार में मंत्री पद के लिए काफी प्रयासरत् थे। इसके अलावा मुंबई बीजेपी के पद के लिए भी करीब 20 वर्षों की तपस्या उन्होंने की। उन्हें मंत्री पद तो न मिला पाया लेकिन
मुंबई अध्यक्ष का पद वर्षों बाद जाकर मिला है। ऐसे में मुंबई मनपा चुनाव का प्रभारी अतुल भातखलकर को बनाकर लोढ़ा के कार्यों पर पार्टी ने उंगली तो नहीं रख दी यह चर्चा भी अब पार्टी कार्यकर्ताओं में होने लगी है। यदि ऐसा है तो कम बोलनेवाले लेकिन सीधा बोलनेवाले लोढ़ा और अतुल भातखलकर के संबंध कैसे रहते हैं इसका बड़ा प्रभाव मनपा चुनावें में पार्टी की तैयारी, प्रत्याशियों के चयन और परिणामों पर पड़ सकता है।

 

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