सांसद जी को समय चाहिए , 25 सितंबर,5 बजे,25 मिनट

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा दोनों सदनों में पारित कराए गए किसान बिल के विरोध में टीएमसी,आम आदमी पार्टी,सीपीएम और कांग्रेस ने आगामी 25 सितम्बर को 5 बजे, 25 मिनट का स्लोगन देकर भारत बंद का आह्वान किया है। इस मुद्दे पर वे प्रधाम मंत्री नरेंद्र मोदी की नकल कर उनकी ही सरकार को घेरना चाहते हैं।
आपको याद दिला दें कि लॉकडाउन के समय पीएम मोदी ने जनता से इसी तरह का आह्वान किया था। उन्होंने 22 मार्च की शाम ठीक 5 बजे उन्हें अपने घर के दरवाजे पर, खिड़की के पास या बालकनी में खड़े होकर 5 मिनट तक ताली, थाली या घंटी बजाकर कोरोना वॉरियर्स डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिसकर्मी आदि के प्रति धन्यवाद अर्पित करने का आह्वान किया था। देश की सामान्य जनता के साथ ही देश के कई दिग्गज नेता, उद्योगपति और सेलिब्रेटीज ने भी उनके इस आव्हान पर अमल किया था। लेकिन विपक्ष के इस आह्वान पर भी क्या लोग उसी तरह से अमल करेंगे, यह सवाल अहम है। वैसे मीडिया रिपोर्ट की माने तो देश के 180 संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया है। सोशल मीडिया के ट्विटर प्लेटफार्म पर पिछले दो दिन से लगातार हैशटैग 25 सितंबर को भारत बंद ट्रेंड कर रहा है।
सरकार किसानों को बनाना चाहती है बंधुआ मजदूरः आप
घोषित बंद के बारे में हिंदुस्थान पोस्ट द्वारा पूछे जाने पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता द्विजेंद्र तिवारी कहते हैं कि विपक्ष ने सरकार के गलत इरादे से पास कराए गए किसान बिल के विरोध को देश की जनता पर छोड़ दिया है। उन्हें विरोध के कारण को समझते हुए स्वतः इस बंद में शामिल होना चाहिए। उनका आरोप है कि यह सरकार किसानों को बंधुआ मजदूर बनाना चाहती है। खेती को कॉर्पोरेट का दर्जा देना चाहती है। बड़े- बड़े उद्योगपति अपने फायदे के लिए किसानों के खेतों में कुछ भी बोआई करके खेत को बंजर बना देंगे और किसान धीरे-धीरे बेकार हो जाएंगे ।
विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने पास कराए बिल
हम आपको बता दें कि लोकसभा और राज्य सभा दोनों सदनों में किसान बिल पास हो गए हैं।
विपक्षी दलों ने इसे किसानों का काला बिल करार दिया है। अनुशासन में रहकर बिल का विरोध करने के बजाय विपक्षी सांसद हंगमा करते हुए उपसभापति के आसन के पास पहुंच गए और किसान बिल की कॉपी फाड़कर उनके मुहं पर मारने की कोशिश की। होना तो यह चाहिए था कि उन्हें इस बिल पर सदन में अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए था, लेकिन ऐसा न कर उन्होंने बिल के विरोध का हिंसात्मक रुख अपनाकर संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाया। सच तो यह है कि ऐसा कर उन्होंने सरकार को हंगामे के बीच ये बिल पारित करने का मौका दे दिया। टीएमसी,आम आदमी पार्टी,सीपीआई और कांग्रेस ने इस किसान बिल को देश के किसानों के लिए बड़ा खतरा बताया है।
किसानों के हित में बिलः सरकार का दावा
दूसरी तरफ सरकार किसान बिल के हर मुद्दे पर बहस कराने को तैयार है। उसका कहना है कि किसान बिल को लेकर उसकी एक ही मंशा है कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। उसका दावा है कि इस नये बिल से किसान मंडियों के दलालों की छुट्टी हो जायेगी और किसान अपनी फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे। सरकार का आरोप है कि चंद राजनीतिक लोगों को किसानों के हित में पारित ये बिल खटक रहे हैं। दरअस्ल वे चाहते हैं कि सदियों से मंडियों में जारी दलाली का काम चलता रहे। किसान मेहनत करें और और माल बिचौलिये कमाएं। पीएम मोदी ने यह इस बारे में स्पष्ट रुप से कहा है कि अब जो मेहनत करेगा वही कमाएगा।

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