मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कोरोना का साया!

मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा का एक भाग दिसंबर 2022 में बनकर तैयार होना है। लेकिन कोरोना काल का हवाला देते हुए विपक्ष इसके निर्माण कार्य को बंद करने की मांग कर रहा है।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोना महामारी के बीच जारी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को फिलहाल बंद करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई की तैयारी दिखाई है। न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी के बीच जारी इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे मजदूरों और अन्य लोगों की जान बचाने के लिए इसे तुरंत रोका जाए।

दिसंबर 2022 में पूरा करने का लक्ष्य
बता दें कि मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा का एक भाग दिसंबर 2022 में बनकर तैयार होना है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस प्रोजेक्ट का निर्माण किया जा रहा है। लॉकडाउन के बीच भी आवश्यक सेवाओं में रखते हुए इस प्रोजेक्ट का काम जारी है। लेकिन विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं और इसे तुरंत रोकने की मांग कर रही हैं।

इन विपक्षी नेताओं ने किया है विरोध
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के साथ ही सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने भी कोरोना काल में इस प्रोजेक्ट को जारी रखने का विरोध किया है। येचुरी ने कहा है कि हमारे भाई-बहन अस्पताल के बेड के इंतजार में दम तोड़ रहे हैं, ऑक्सीजन और टीकों के लिए पैसे नहीं हैं। इस हालत में सरकार इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च अपनी सनक पूरा कर रही है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने दी थी मंजूरी
बता दे कि सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्र्ल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने दो-एक के बहुमत से इस प्रजोक्ट को मंजूरी दी थी । इसके साथ ही नए संसद भवन निर्माण का रास्ता साफ हो गया था। न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए पेपरवर्क को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी की सिफारिशें उचित हैं और हम इस पर बरकरार हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना ने जताई थी असहमति
सर्वोच्च न्यायालय की बेंच के जस्टिस खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने इस पर सहमति जताई, जबकि संजीव खन्ना ने इस पर असहमति जताई थी। संजीव खन्ना भूमि उपयोग के बदलाव और परियोजना के लिए पर्यावरण संबधी मंजूरी के फैसले से असहमत थे। लेकिन हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की पूर्व मंजूरी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले को सार्वजनिक सुनवाई के लिए वापस भेजा जाना चाहिए था।

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इन निर्देशों के साथ हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने तथा एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्दश दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी जरुरी है। कोर्ट ने परियोजना समर्थकों को समिति से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया है। इन शर्तों के साथ कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए इसके पुनर्विकास का रास्ता साफ कर दिया। सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सवाल उठाया गया था कि क्या परियोजना में संसद और केंद्रीय सचिवालय भवनों के क्षेत्र में भूमि के उपयोग और पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन किया गया है।

 पीठ ने इस संबंध में फैसला सुरक्षित रख लिया था
बता दें कि नवंबर 2020 में पीठ ने इस संबंध में फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछले साल 7 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र को 10 दिसंबर को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी। सरकार ने आश्वासन दिया था कि मामले को शीर्ष अदालत में लंबित होने तक कोई निर्माण या तोड़क कार्रवाई का काम शुरू नहीं किया जाएगा। केंद्र ने पीठ से कहा था कि केवल शिलान्यास समारोह होगा और इस परियोजना के लिए  कोई निर्माण, विध्वंस या पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी। पुनर्विकास के लिए भूमि उपयोग में बदलाव को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 21 दिसंबर, 2019 को अधिसूचना को चुनौती दी गई थी।

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