महाराष्ट्र में ‘नरेंद्र’ से राज्य सरकार को एलर्जी हो गई है। बिहार चुनावों के बीच चुन-चुनकर ‘रोखठोक’ का डंका पीटनेवाले अब सिर खुजा रहे हैं। लेकिन, राज्य में एक और ‘नरेंद्र’ अब सरकार के निशाने पर है। इस नरेंद्र को राज्य सरकार ने महामंडल के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए पूरा महामंडल ही बर्खास्त कर दिया है।
महाराष्ट्र में अब ‘नरेंद्र’को घर बैठाने का निर्णय हो चुका है। ये नरेंद्र पाटील माथाडी कामगार यूनियन के नेता हैं और अण्णासाहेब पाटील आर्थिक मागास विकास महामंडल के अध्यक्ष थे। लेकिन ठाकरेशाही में अब उनका पद चला गया है। सरकार ने इस महामंडल को रद्द कर दिया है। बीजेपी के शासनकाल में नरेंद्र पाटील बीजेपी में चले गए थे। ठाकरे सरकार आने के बाद उन्होंने सरकार की नीतियों को लेकर टिप्पणी की थी। जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ रहा है।
निर्णय और नेता निशाने पर…
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी सरकार आने के साथ ही बीजेपी-शिवसेना की युती सरकार के निर्णयों को रद्द करने का फैसला शुरू हो गया। बीजेपी और उसके नेता सीधे-सीधे शिवसेना के निशाने पर आ गए। अण्णासाहेब पाटील आर्थिक मागास विकास महामंडल के अध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। नरेंद्र पाटील ने बीते दिनों आघाड़ी सरकार पर टिप्पणियां की थी। तभी से माना जा रहा था कि उन पर कार्रवाई हो सकती है। हालांकि नरेंद्र पाटील के माथाड़ी कामगार नेता होने से यह भी लग रहा था कि हो सकता है सरकार सीधे-सीधे कार्रवाई से बचे। सरकार ने किया भी ऐसा ही, उसने इस महामंडल को ही बर्खास्त कर दिया है।
सरकारी कदम का विरोध
माथाड़ी कामगार यूनियन ने सरकार द्वारा अण्णासाहेब पाटील आर्थिक मागास विकास महामंडल बर्खास्त करके नरेंद्र पाटील के खिलाफ की गई कार्रवाई का विरोध किया है। इसके अंतर्गत मुंबई के एपीएमसी मार्केट में माथाडी कर्मचारियों ने काम बंद आंदोलन किया।
जिस अण्णासाहेब पाटील ने मराठा समाज के लिए बलिदान दिया उन्हीं के नाम पर गठित महामंडल का नेतृत्व उनके पुत्र कर रहे थे। वह महामडंल बर्खास्त क्यों कर दिया? यद्यपि वो सरकार के अधिकार क्षेत्र में हो लेकिन, ऐसा करने का यह समय नहीं था। इसके लेकर समाज में आक्रोश निर्माण हो गया है।
संभाजीराजे, भाजपा – सांसद
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