महाराष्ट्रः राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय तय करेंगे छठे उम्मीदवार की किस्मत!

राज्यसभा चुनाव के लिए जरूरी वोटों के हिसाब से बीजेपी के दो और शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के एक-एक उम्मीदवारों को पहले दौर में 42 वोटों के साथ राज्यसभा में आसानी से प्रवेश मिल जाएगा। लेकिन इसके बाद एमवीए के 27 वोट और बीजेपी के पास 29 वोट बचेंगे।

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महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। कुछ दिन पहले तक यह चुनाव निर्विरोध होता नजर आ रहा था, लेकिन सातवें प्रत्याशी के अचानक चुनावी मैदान में आने से प्रदेश की राजनीति का तापमान बढ़ गया है। इस कारण कई उम्मीदवारों के पीछे साढ़े साती लग गई है। सच तो यह है कि इस कारण प्रदेश में राज्यसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है।

कोल्हापुर के धनंजय महाडिक को भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार बनाया है, वहीं शिवसेना ने कोल्हापुर के ही संजय पवार को मैदान में उतारा है। इसलिए राज्यसभा की सातवीं सीट के लिए चुनाव कोल्हापुर के अखाड़े में इन दोनों पहलवानों के बीच लड़ा जाएगा। लेकिन संजय और धनंजय हैं कौन, जो आपस में लड़ रहे हैं? आइए, जानते हैंः

संजय पवार
-संजय पवार को पिछले 30 सालों से शिवसेना का वफादार शिवसैनिक माना जाता है।

-वे पिछले 9 साल से कोल्हापुर शिवसेना के जिलाध्यक्ष हैं।

-कोल्हापुर में शिवसेना को खड़ा करने में उनका अहम योगदान रहा है।

-वे कोल्हापुर महानगरपालिका में तीन बार शिवसेना पार्षद के रूप में निर्वाचित हुए हैं।

-अपने संगठनात्मक कौशल के कारण, कोल्हापुर में स्थानीय राजनीति पर उनकी अच्छी पकड़ है।

धनंजय महाडिक
-धनंजय महाडिक के चाचा महादेवराव महाडिक एक समय के दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक हैं।

-खास बात यह है कि महाडिक ने 2004 का लोकसभा चुनाव शिवसेना के टिकट पर लड़ा था। लेकिन उस समय उन्हें

-राकांपा के सदाशिवराव मांडलिक से हार का सामना करना पड़ा था।

-2014 में, महाडिक एनसीपी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे। लेकिन इस चुनाव में उन्हें शिवसेना के संजय मंडलिक से हार का सामना करना पड़ा था।

-राज्यसभा चुनाव में भी उनकी बॉक्सिंग की लड़ाई एक बार फिर शिवसेना के संजय से होगी। लोगों का ध्यान इस बात पर है कि इनमें कौन किसे पछाड़ता है।

निर्दलीय के हाथ में भविष्य
राज्यसभा चुनाव के लिए जरूरी वोटों के हिसाब से बीजेपी के दो और शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के एक-एक उम्मीदवारों को पहले दौर में 42 वोटों के साथ राज्यसभा में आसानी से प्रवेश मिल जाएगा। लेकिन इसके बाद एमवीए के 27 वोट और बीजेपी के पास 29 वोट बचेंगे। इसलिए छठे राज्यसभा उम्मीदवार का भविष्य अब निर्दलीय और अन्य पार्टियों के हाथ में है।

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