महाराष्ट्र सरकार सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की बहुप्रतिक्षित मांग को पूरा करने का निर्णय ले चुकी है। शीतकालीन सत्र में राज्य सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर विधेयक लाने की तैयारी में है। इस संदर्भ में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि, अन्ना हजारे की अध्यक्षता में बनीं समिति की मांग को सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
अन्ना हजारे इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अंतर्गत किये गए आंदोलन में लोकपाल कानून लाने की मांग कर रहे थे। इसमें राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग की गई थी। महाराष्ट्र में लोकायुक्त नियुक्ति के लिए अन्ना हजारे की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने अपने सुझाव राज्य सरकार को दिये थे, जिस पर पिछली सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया था। परंतु, अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए इसे स्वीकार कर लिया है। माना जा रहा है कि, नागपुर के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाया जा सकता है।
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मुख्यमंत्री की भी जांच
अन्ना हजारे द्वारा दिये गए सुझाव में मुख्यमंत्री को भी लोकायुक्त की जांच के दायरे में रखा गया है। लोकायुक्त के रूप में पांच पदों पर कार्य कर चुके लोगों को शामिल किया जा सकता है, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश का समावेश है। अन्ना हजारे ने दिल्ली में अपनी संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन के झंडे तले 5 अप्रैल 2011 को दिल्ली के जंतर मंतर पर भूख हड़ताल आंदोलन किया था, जिसमें भ्रष्टाचार को समूल से नष्ट करने के लिए जन लोकपाल विधेयक लाने की मांग की गई थी। अन्ना के उस आंदोलन में सहभागी हुए कार्यकर्ता बाद में नेता बन गए और अपने दल बना लिये। वर्तमान में वे सत्ता में भी हैं, लेकिन जन लोकपाल कानून और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की बातें मात्र बातें ही साबित हुई हैं।