महाराष्ट्रः सीएम ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इसलिए जोड़े हाथ!

मराठा आरक्षण पर पेंच फंसते ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को समुदाय के उग्र आंदोलन का डर सताने लगा है।

143

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मराठा आरक्षण को रद्द किए जाने के बाद मराठा समुदाय आक्रामक हो गया है। इसे देखते हुए अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ जोड़ा है।

न्यायालय ने कहा है कि आरक्षण पर फैसला लेने का अधिकार केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के को है, राज्य के पास नहीं। न्यायालय के इस फैसले के बाद सीएम ठाकरे ने कहा है कि मैं मराठा आरक्षण पर तत्काल निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से हाथ जोड़ता हूं।

आपातकालीन बैठक
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मराठा आरक्षण रद्द किए जाने के बाद, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में सह्याद्रि गेस्ट हाउस में एक आपातकालीन बैठक हुई। उसके बाद, मुख्यमंत्री ने यह बयान दिया और पीएम तथा राष्ट्रपति से ये अपील की।

फैसला दुर्भाग्यपूर्ण
सीएम ने कहा कि जब महाराष्ट्र कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है तो ऐसे समय में सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण पर राज्य सरकार के फैसले को पलट दिया है। यह महाराष्ट्र में खेतीहर, मेहनती और संघर्षरत मराठा समुदाय के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

  समुदाय के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए आरक्षण देने का फैसला
महाराष्ट्र ने मराठा समुदाय के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए उसे आरक्षण देने का फैसला किया था। राज्य विधानसभा में सभी राजनीतिक दलों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने पलट दिया है। सबसे चिंता की बात है कि महाराष्ट्र सरकार को इस आरक्षण पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि गायकवाड़ समिति की सिफारिशों पर राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

पहले भी लिए जाते रहे हैं ऐसे निर्णय
सीएम ने कहा कि इससे पहले, शाहबानो मामले, अत्याचार अधिनियम के साथ ही अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए भी केंद्र ने निर्णय को सही ठहराने के लिए कानून में बदलाव किए  थे। अब उसी तर्ज पर मराठा आरक्षण के बारे में तत्काल निर्णय लिया जाना चाहिए।

ये भी पढ़ेंः महाराष्ट्र का मराठा आरक्षण कानून रद्द हुआ!

छत्रपति संभाजी राजे को पीएम नहीं दे रहे मिलने का समय
उद्धव ठाकरे ने कहा कि छत्रपति संभाजी राजे पिछले साल से प्रधानमंत्री से मराठा आरक्षण पर चर्चा के लिए समय मांग रहे हैं, लेकिन उन्होंने उन्हें समय नहीं दिया।

जनता को भड़काओ मत
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत नहीं किया जाना चाहिए और किसी को भी इस हालत में महाराष्ट्र का माहौल खराब करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। लोगों को उकसाना नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि मराठा आरक्षण को लेकर कानूनी लड़ाई जीत तक जारी रहेगी।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.