Nepal: विमान खरीद प्रकरण में 150 करोड़ के भ्रष्टाचार का मुकदमा, पूर्व मंत्री और पूर्व सचिव समेत कइयों के नाम शामिल

नेपाल की सरकारी विमान कंपनी नेपाल वायुसेवा निगम की तरफ से दो वाइड बॉडी विमान खरीद मामले में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है।

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Nepal में वाइड बॉडी विमान(wide body aircraft) की खरीद को लेकर हुए एक बडे़ घोटाले का पर्दाफाश(A big scam exposed) हुआ है। 4 अप्रैल कोर्ट में एक मुकदमा दायर(filed suit) करते हुए भ्रष्टाचार निरोधी निकाय(anti corruption body) ने पूर्व मंत्री और पूर्व सचिव सहित कई कर्मचारियों के इसमें शामिल(Many employees including former minister and former secretary were involved in this) होने की बात कही है।

बड़े घोटाले का पर्दाफाश
नेपाल की सरकारी विमान कंपनी नेपाल वायुसेवा निगम की तरफ से दो वाइड बॉडी विमान खरीद मामले में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। भ्रष्टाचार के विरोध में जांच करने वाली सरकारी एजेंसी अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग ने विशेष अदालत में मुकदमा दायर करते हुए करीब 150 करोड़ रुपये का घोटाला होने का प्रमाण कोर्ट को सौंपा है। अख्तियार आयोग के प्रमुख प्रेम राई ने बताया कि इस विमान खरीद प्रकरण की शुरुआती प्रक्रिया से लेकर आखिरी भुगतान तक में व्यापक अनियमितता के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में तत्कालीन नागरिक उड्डययन मंत्री, तत्कालीन उड्डययन सचिव और सह सचिव सहित पूरा का पूरा नेपाल वायुसेवा निगम के संचालक समिति के शामिल होने के पुख्ता सबूत अदालत में जमा किए गए हैं।

घोटाले में इनके नाम शामिल
अख्तियार प्रमुख द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस घोटाले में जिन लोगों को आरोपित बनाया गया है, उनमें तत्कालीन नागरिक उड्डययन मंत्री जीवन बहादुर शाही, तत्कालीन उड्डययन सचिव शंकर अधिकारी, तत्कालीन वित्त सचिव शिशिर ढुंगाना सहित 32 कर्मचारी शामिल हैं। इन सभी पर वाइड बॉडी खरीद की प्रक्रिया से लेकर भुगतान तक में व्यापक अनियमितता करने की बात सामने आई है।

टेंडर निकालने में गड़बड़ी
अख्तियार प्रमुख ने बताया कि टेंडर निकालने में हुई गड़बड़ियों की शुरुआत अंतिम भुगतान तक जारी रही। बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिए विमान सीधे विमान निर्माता कंपनी से नहीं खरीद कर एक नई कंपनी के जरिए खरीदा गया। इस खरीद में विमान के वास्तविक मूल्य से इसे कई गुना अधिक कीमत में खरीदे जाने की बात का उल्लेख है। इतना ही नहीं, जिस कंपनी को विमान सप्लाई का टेंडर मिला था भुगतान के समय दो और नई कंपनियां बनाकर उसके माध्यम से भुगतान करने को भी कानून के विपरीत बताते हुए कोर्ट में कई दस्तावेज पेश किए गए हैं।

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