सरकार का वचननामा… ये हैं वह मुद्दे जिन पर किसान आंदोलन समाप्ति की बनी बात

नवंबर 2020 से शुरू हुए संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन अब समाप्त गया है।

88

संयुक्त किसान मोर्चे के किसानों ने अपने तंबू उखाड़ने का निर्णय किया है। इसके लिए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के बाद केंद्र सरकार ने यूनियन को एक लिखित आश्वासन पत्र भी दिया है। जिसमें उन मुद्दों पर आश्वस्त किया गया है, जो किसान यूनियनों की मांग में सम्मिलित थी।

1. न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कमेटी का गठन होगा। जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठन के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक सम्मिलित होंगे। किसान प्रतिनिधियों के रूप में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी सम्मिलित होंगे। इस कमेटी का कार्य किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की सुनिश्चितता दिलाना है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की वर्तमान स्थिति शुरू रखी जाएगी।

2. आंदोलन के समय किसान यूनियन के सदस्यों पर पंजीकृत हुए प्रकरणों को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति दे दी है।

ये भी देखें – बात बन गई… दिल्ली की सीमा से किसान यूनियन ने उखाड़ा तंबू

3. किसान यूनियन आंदोलन के बीच भारत सरकार के विभिन्न विभागों, एजेंसियों और दिल्ली सहित सभी संघ शासित प्रदेशों में आंदोलनकारियों और उनके समर्थकों पर पंजीकृत सभी प्रकरण तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति मिली है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस आंदोलन से संबंधित प्रकरणों को वे भी वापस लेने की कार्रवाई करें।

3. आर्थिक सहायता के संबंध में हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। (क्रमांक 2 और 3 पर पंजाब सरकार की भी मिली सहमति)

4. बिजली बिल पर किसानों को प्रभावित करनेवाले प्रावधानों पर कानून बनाने के पहले सभी हितधारकों/संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों से चर्चा की जाएगी। विधेयक सदन के पटल पर उसके पश्चात ही रखा जाएगा।

5. पराली के संबंध में भारत सरकार द्वारा पारित धारा 14 और धारा 15 में निहित आपराधिक दायित्व से किसानों मुक्ति दे दी गई है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.