क्या आप जानते हैं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मुख्य उद्देश्य?

देखा जाए तो कांग्रेस इस समय बुरे दौर से गुजर रही है। उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि विपक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का चेहरा स्वीकार करेगा।

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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या है, इसका खुलासा स्वयं कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कर दिया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि इतिहास में किसी नेता ने इतनी लंबी यात्रा नहीं की। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि राहुल गांधी सत्ता के लिए नहीं, बल्कि जनता के लिए राजनीति करते हैं। कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी को पीएम पद का चेहरा बता कर विपक्ष के खेमे में हलचल पैदा कर दी है।

क्या विपक्षी दल करेंगे स्वीकार?
हालांकि, देखा जाए तो कांग्रेस इस समय बुरे दौर से गुजर रही है। उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि विपक्षी दल राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का चेहरा स्वीकार करेगा। कई राज्यों में तो विपक्षी दल ही कांग्रेस को मुक्त करने के लिए लगे हुए हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को साफ कर दिया है। गुजरात में हाल ही में हुए चुनाव में उसने कांग्रेस के वोटों को छीन लिया है। पंजाब में भी आप ने कांग्रेस के हाथ से सत्ता छीन ली है।

महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस एक-दूसरे के सहारे
कांग्रेस ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को यह सोच कर मुख्यमंत्री बनाया था कि शिवसेना के सहारे वह अपने आप को मजबूत करेगी, लेकिन यहां भी कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ गया। शिवसेना ही टूट गई और अब दोनों को एक साथ आना उनकी मजबूरी बन गई। लोकसभा चुनाव 2024 में क्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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कई राज्यों में गठबंधन की मजबूरी
दक्षिण भारत में 130 लोकसभा सीटें आती हैं। तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन से जन्मे क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व बढ़ता ही चला गया। कांग्रेस ने 1967 में तमिलनाडु की सत्ता खो दी थी और उसके बाद राज्य की सियासत के शीर्ष पर द्रविड़ दलों का ही दबदबा रहा। तमिलनाडु में कांग्रेस डीएमके के बिना एक पग भी नहीं चल सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस को गठबंधन में रहकर आठ सीटें मिली थीं। 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस डीएमके से गठबंधन किए बगैर चुनाव मैदान में उतरी थी। तब पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। भाजपा की दक्षिणी राज्यों में महत्वाकांक्षा और तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक में मचे कोलाहल से डीएमके भी परेशान है। इसलिए उसे अपने सियासी गुलदस्ते में कांग्रेस को लेना जरूरी हो गया है। केरल में तो सत्ताधारी एलडीएफ ने कांग्रेस पर केरल में 19 दिन और उत्तर प्रदेश में सिर्फ चार दिन की यात्रा को लेकर हमला बोला था। एलडीएफ तो कह चुकी है कि यह भारत जोड़ो यात्रा नहीं, बल्कि कांग्रेसी जोड़ो यात्रा है।

भाजपा ने ली चुटकी
राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार बनाने पर भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यहां तो हर राज्य में प्रधानमंत्री का एक उम्मीदवार बैठा है। राजद और जदयू के लोग कह रहे हैं कि नीतीश कुमार पीएम पद के उम्मीदवार होंगे, तृणमूल कांग्रेस के लोग कह रहे हैं कि ममता बनर्जी उम्मीदवार होंगी और केसीआर के लोग कह रहे हैं की के चंद्रशेखर राव उम्मीदवार होंगे। वहीं, महाराष्ट्र में शरद पवार को भी पीएम का उम्मीदवार बताया जा रहा है। अब कांग्रेस ने राहुल गांधी को विपक्ष का पीएम चेहरा ही बता दिया है।

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