तालिबान ने इसलिए आतिशबाजी जलाकर और बदूकें चलकार मनाया जश्न!

अमेरिका ने 14 अगस्त के बाद अफगानिस्तान से कुल 123000 लोगों को निकला है। इनमें अमेरिकी नागरिकों के साथ अमेरिकी सहयोगी और अमेरिकी सहयोगी रहे अफगान नागरिक शामिल हैं।

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आखिर अमेरिका ने डेडलाइन खत्म होने से पहले ही अपने सैन्य बलों को वापस बुला लिया है। अमेरिका ने 31 अगस्त को इसके लिए डेडलाइन दी थी, लेकिन इससे पहले ही उसने अफगानिस्तान में अपनी सैन्य उपस्थिति खत्म कर दी। इससे खुश तालिबान ने आतिशबाजी जलाकर और गोलियां चलाकर जश्न मनाया। उसने घोषणा की है कि अब अफगानिस्तान वास्तव में आजाद हो गया है।

अफगानिस्तान में 20 साल लंबे युद्ध के बाद अमेरिका ने  30 अगस्त को अपनी अंतिम उड़ान भरी। अमेरिका का आखिरी विमान सी-17 ने 30 अगस्त की दोपहर में काबुल स्थित हामिद करजई हवाई अड्डे से उड़ान भरी। इसके साथ ही अफगानिस्तान अब अमेरिकी सेना से मुक्त हो गया है। अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी पूरी सेना की वापसी की घोषणा कर दी है।

यूएस सेंट्रल कमांड प्रमुख ने की घोषणा
यूएस सेंट्रल कमांड प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने इस बारे में 30 अगस्त को जानकारी दी और कहा कि मैं यहां अफगानिस्तान से अपनी वापसी के पूरा होने और अमेरिकी नागरिकों, कमजोर अफगानों को निकालने के लिए सैन्य मिशन समाप्ति की घोषणा करता हूं। हम आखिरी मानवयुक्त विमान अब अफगानिस्तान से निकाल रहे हैं।

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जो बाइडन ने कमांडरों को दिया धन्यवाद
इस बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडनन ने कहा कि अफगानिस्तान में 20 साल से मौजूद अमेरिकी सैन्य उपस्थिति अब खत्म हो गई है। बाइडन ने अपने कमांडरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि कमांडरों ने बिना किसी और अमेरिकी की जान गंवाए अफगानिस्तान से अपनी निकासी पूरी कर ली है।

अफगानिस्तान से कुल 123000 लोगों को निकला
अमेरिका ने 14 अगस्त के बाद अफगानिस्तान से कुल 123000 लोगों को निकला है। इनमें अमेरिकी नागरिकों के साथ अमेरिकी सहयोगी और अमेरिकी सहयोगी रहे अफगान नागरिक शामिल हैं। यह अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा एयरलिफ्ट मिशन था। इसके साथ ही अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी राजनयिक उपस्थिति को भी समाप्त कर दिया है। उसने अपने दूतावास को कतर में स्थानांतरित कर दिया है।

समर्थन देने के मुद्दे पर कही ये बात
तालिबान को समर्थन देने के मुद्दे पर अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि वैधता और समर्थन कमाना पड़ता है। हम जो भी कदम उठाएंगे, वह तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के कहने पर नहीं, बल्कि अपनी प्रतिबद्धता के कारण उठाएंगे।

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