बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोगी और हिंदुस्तान आवामी मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी उनकी मुश्किलें बढ़ाते नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से वे तरह-तरह के बयान देकर नीतीश सरकार को सांसत में डालने का काम कर रहे हैं। मांझी ने 17 दिसंबर को शराबबंदी के मामले में जेल में बंद लोगों को रिहा करने की मांग की है। इससे पहले उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को पुत्र समान और बिहार के युवा नेता बताया था।
जमानत की व्यवस्था करने की मांग
17 दिंसबर को उन्होंने शराबबंदी में पकड़े गए लोगों को छोटी-सी गलती को लेकर जेल में बंद बताया था औऱ उन्हेंं छोड़ने की मांग की। मांझी ने उनके लिए जमानत की व्यवस्था करने की मांग की, हालांकि सख्ती से शराबबंदी लागू करने के लिए उन्होंने नीतीश सरकार की तारीफ भी की।
धन्यवाद पुत्र समान बिहार के युवा नेता @yadavtejashwi https://t.co/SgIiNi7LDA
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) December 15, 2020
बयान पर राजनैतिक उबाल
मांझी की इस मांग को लेकर बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है। उनकी मांग पर राजनैतिक पार्टियां अलग-अलग राग अलाप रही हैं। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि एनडीए के सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श कर हमारा शीर्ष नेतृत्व इस बारे में फैसला करेगा।
@NitishKumar शराबबंदी क़ानून को सख़्ती से लागू करने के लिए बंधाई।
परन्तु अनुरोध है कि वैसे गरीब जो शराबबंदी क़ानून के तहत छोटी गलती के लिए तीन महीने से जेल में बंद हैं उनके जमानत की व्यवस्था सुनिश्चित करवाएं।
उनके परिवार के मुखिया के जेल में बंद रहने के कारण उनके बच्चे भूखें हैं।— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) December 17, 2020
तेजस्वी की तारीफ
इससे पहले 16 दिसंबर को भी मांझी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की प्रशंसा की थी और उन्हें पुत्र समान बताते हुए बिहार का युवा नेता कहा था। दरअसल जीतनराम मांझी के कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके स्वास्थ्य की कामना करते हुए तेजस्वी ने एक ट्विट किया था। जिस पर जीतन राम मांझी ने यह जवाब दिया था।
किसान आंदोलन करने की दी थी धमकी
इससे कुछ दिन पहले भी उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में आंदोलन करने की बात कही थी। बिहार चुनाव से पहले मांझी महागठबंधन के हिस्सा थे। तब उन्होंने नीतीश की प्रशंसा कर नए राजनैतिक समीकरण बनाने के संकेत दिए थे। उसके बाद वे तेजस्वी यादव को छोड़क जेडीयू में शामिल हो गए थे। उनकी पार्टी हम को चार सीटें मिली हैं।
मांझी का ट्रैक रिकॉर्ड
2015 में भी हिंदुस्तान आवामी मोर्चा के मुखिया जीतनराम मांझी ने जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार को परेशानी में डाल दिया था। जिस नीतीश कुमार की कृपा से उन्हें 2014 में बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था, उन्हीं के खिलाफ उन्होंने राजनैतिक जंग छेड़ दी थी। जेडीयू में रहते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया था। हालांकि सदन में वे अपना बहुमत साबित नहीं कर पाए थे और उन्हे सीएम का पद छोड़ना पड़ा था।
नीतीश के खिलाफ मांझी का हल्लाबोल
इसके बाद जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार पर तरह-तरह के आरोप लगाते हुए उन्हें कुर्सी लोलुप बताया था। जुलाई 2015 में उन्होंने एक पत्रकार परिषद में नीतीश पर हल्ला बोलते हुए कहा था कि कुर्सी के बिना नीतीश कुमार मछली की तरह छटपटाने लगते हैं।
नीतीश ने किया था सीएम बनने से इनकार
दरअस्ल 2014 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू के खराब प्रदर्शन के बाद मांझी को कुछ समय के लिए बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 10 महीने बाद पार्टी ने उन्हें नीतीश कुमार के लिए पद छोड़ने को कहा था, लेकिन मांझी ने कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया था। बाद में 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद उन्होंने हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा नामक पार्टी का गठन किया लेकिन मांझी का मन डोलता ही रहा है। वे कभी महागठबंधन में तो कभी एनडीए में जाते-आते रहे हैं।
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