प्रधानमंत्री मोदी द्वेशी है बीबीसी! ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत में प्रबल विरोध सामने आया है। देश के पूर्व न्यायाधीश, सेवानिवृत्त अधिकारी और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने बीबीसी प्रबंधन को पत्र लिखा है। इस पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया है कि, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री India: The Modi Question ब्रिटिश साम्राज्य के भ्रम को पुनर्जीवित करने का प्रमाण है। इस पत्र में लिखा है, इस समय नहीं, हमारे नेता के साथ नहीं, न भारत के साथ। बीबीसी द्वारा दो भागों में निर्मित डॉक्यूमेंट्री में भारत के विरुद्ध बीबीसी की नकारात्मक सोच और पूर्वाग्रह दिखाई देता है। पत्र पर कुल 302 पूर्व अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, जिसमें 33 सेवा निवृत्त न्यायाधीश, 111 पूर्व अधिकारी, 22 पूर्व राजदूत, 156 पूर्व सैन्य अधिकारी हैं।
Retired judges, retired bureaucrats and retired armed forces veterans co-sign a statement rebutting the BBC documentary ‘Delusions of British Imperial Resurrection?’ pic.twitter.com/XCFROpYzPl
— ANI (@ANI) January 21, 2023
पत्र में क्या है?
पत्र में कहा गया है कि, डॉक्यूमेंट्री गलत तरीके से सरकार की कुछ नीतियों को मुस्लिम विरोधी करार देती है। जहां तक स्पष्ट तथ्यात्मक त्रुटियों की बात है। इसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर बीबीसी ‘मुस्लिमों के प्रति अनुचित’ कहता है। वास्तव में, यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे अल्पसंख्यकों (हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, बौद्धों और जैनियों) की मदद करने वाला कानून है। इसका भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। अधिनियम के पाठ में मुसलमानों के बारे में कोई शब्द नहीं है। क्या बीबीसी ने यह झूठा आरोप लगाने से पहले सीएए का पूरा पाठ पढ़ा है?
अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बारे में पत्र में कहा गया है, “अनुच्छेद 370 भारत के संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, जिसका मतलब कभी भी स्थायी नहीं था। इस प्रकार, इसे हटाना किसी भी तरह से संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन नहीं था। आज अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता है क्योंकि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख की केंद्र शासित सरकारें उन नीतियों को लागू करती हैं जो क्षेत्र के सभी लोगों को उनके धर्म के बावजूद लाभान्वित करती हैं।
भारत जता चुका है विरोध
वर्ष २००२ में गोधरा में कारसेवकों को जिंदा जलाने की परिणति में हुए दंगों पर बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया है। जिसमें वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिमा को धूमिल करने का प्रयत्न है। इसे लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि, इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी है। बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री में औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है। यह पूर्णतया दुष्प्रचार को बढ़ाने का एक हिस्सा है। बीबीसी की कोशिश हमें उसके पीछे के उद्देश्यों पर सोचने को मजबूर करती है। केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से को ब्लॉक कर दिया है। इसे यूट्यूब पर प्रसारित किया जा रहा था, इसके अलावा ट्वीट्स को भी ब्लॉक किया गया है। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इस प्रकरण में संज्ञान लिया है।
MEA Spokesperson Arindam Bagchi (@MEAIndia) says that the BBC Documentary on PM Modi is a “propaganda piece” and the “colonial mindset” is clearly visible. He also says “Are they ruling the country” on the role of UK Diplomats investigating the 2002 Gujarat riots. pic.twitter.com/Qwt8z4f1E9
— Veer Vikram Mukherjee (@MukherjeeVeer) January 19, 2023
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने किया पीएम मोदी का समर्थन
बीबीसी की भ्रामक और औपनिवेषिक मानसिकता से प्रेरित डॉक्यूमेंट्री पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने स्पष्ट कहा है कि, वे पाकिस्तानी मूल के लेबर पार्टी के सांसद इमरान हुसैन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किये गए चित्रण से असहमत हैं।