जम्मू कश्मीर : ‘पंडित और हिंदू’ बगैर कैसी बातचीत? इक्कजुट्ट ने कहा ये काला दिवस

जम्मू कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता की एक आस जगी है। परंतु, इसके लिए जो बैठक आयोजित की गई है उसमें आमंत्रित लोगों की सूची को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सूची से हिंदू पार्टियां गायब हैं जबकि कश्मीर के ऐसे दलों को भी शामिल किया गया है जिनके नेता और कार्यकर्ता की संख्या एक पर ही टिकी हुई है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के साथ बातचीत करेंगे। यह बैठक राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया को शुरू करने के लिए ती जा रही है परंतु, इसको लेकर अब बड़ा हो हल्ला प्रारंभ हो चुका है। इस बैठक में अलगाववादी और गुपकार को प्राथमिकता मिली है जबकि आतंक में अपना सबकुछ गंवानेवाले पंडित और हिंदुओं को निराशा हाथ लगी है।

जम्मू आक्रोषित है, वहां के डोगरा समाज, पंडित और हिंदुओं के अस्तित्व को केंद्र सरकार की सर्वदलीय बैठक में नकार दिया गया है। इस भेदभाव के विरुद्ध ‘इक्कजुट्ट जम्मू’ गुरुवार 24 जून को सुबह 10 बजे से राज्य में काला दिवस मनाकर विरोध प्रदर्शन करेगी।

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बगैर हिंदू कैसी बातचीत?
जम्मू कश्मीर में हिंदू समाज में पंडित, डोगरा समाज, सिख, जैन आदि सभी का समावेश है। परंतु, केंद्र सरकार ने जम्मू संभाग से पैंथर्स पार्टी से त्यागपत्र दे चुके भीम सिंह को बुलाया है। जबकि इस दल के वर्तमान सर्वेसर्वा हर्षदेव और बलवंत सिंह मनकोटिया को नही बुलाया गया है।

इसके अलावा डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष लाल सिंह को भी नहीं बुलाया गया है। इस क्षेत्र की प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रही इक्कजुट्ट जम्मू जो हिंदू और युवा की आवाज है उसकी भी अनदेखी की गई है।

जम्मू कश्मीर में हिंदुओं की हत्याओं, बलात्कार और आतंकी षड्यंत्र के विरुद्ध ही भारतीय जनता पार्टी अपना झंडा ऊंचा करती रही है लेकिन, अनुच्छेद 370 और 35ए के रदद् होने के बाद उसने इस समाज की भूमिका को ही नकार दिया है। यह आरोप प्रधानमंत्री की बैठक में आमंत्रित नेताओं की सूची को लेकर किया जा रहा है।

काला दिवस
केंद्र सरकार के इस इस्लामी प्रेम और जम्मू के साथ भेदभाव पूर्ण बर्ताव को लेकर इक्कजुट्ट जम्मू राज्य में गुरुवार को 10 बजे काला दिवस मनाएगी। इसके लिए सभी स्थानों पर आंदोलन होगा। परंतु इसमें सुरक्षा और लोगों को दिक्कत न हो इसका विशेष ध्यान दिया जाएगा।

ये हैं केंद्र के लाडले नेता
फारूक अब्दुल्ला – जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके फारुक अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 और 35 ए समाप्ति के लिए चीन से सहायता मांगने की बात कर चुके हैं। उनकी पार्टी भारत के इस अभिन्न हिस्से में शांति स्थापना के लिए पाकिस्तान की तरफदारी भी करती रही है। उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेन्स, पिपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन की प्रमुख पार्टी है।

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महबूबा मुफ्ती – पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से स्थापित राज्य सरकार में वह नेतृत्व कर रही थीं। उनका दल भी पिपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन का प्रमुख दल है। गुपकार पार्टियों ने दिल्ली में मंगलवार को बैठक की और उसके पश्चात विचार रखे।

हम अपने प्रमुख मुद्दे पर चर्चा करेंगे जिसके लिए गुपकार अलायंस बना है, जिसमें जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 के पहले की परिस्थिति की बहाली है। उनका एजेंडा कुछ भी हो परंतु, हमारा एजेंडा यही होगा। हम ये कहेंगे कि उन्होंने बड़ी गलती की है। विशेषाधिकार छीनना संवैधानिक रूप से अवैध है और उसे पुनर्स्थापित करना चाहिए। इसके बगैर आप जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित नहीं कर सकते।

एमवाई तारीगामी – मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक मात्र झंडाबरदार तारीगामी, पिपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन के प्रमुख पदाधिकारी भी हैं। उनके बोल भी सर्वदलीय बैठक को लेकर राज्य में राजनीतिक स्थिरता की बहाली के बजाय पुरानी डफली बजाने के ही हैं।

हम जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों की ओर से वकालत नामा लेकर जाएंगे। हम प्रधानमंत्री से अपील करेंगे कि संविधान में जो गारंटी हमें प्रदान की गई है वह वापस दी जाए। हम वहां केंद्र के एजेंडे पर हस्ताक्षर करने नहीं जा रहे हैं।

अल्ताफ बुखारी – जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के नेता हैं अल्ताफ बुखारी। उनका संबंध अलगाववादियों से बहुत करीब का रहा है। आरोप है कि उनकी पार्टी चुनाव आयोग द्वरा पंजीकृत भी नहीं है, इसके बावजूद प्रधानमंत्री के साथ जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक में उन्हें आमंत्रित किया गया है।

पीपल्स कॉन्फ्रेन्स – सज्जाद लोन, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी- गुलाम हसन मीर, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेन्स – मुजफ्फर शाह

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