जमीन पर इस्लामी आतंक, आसमान से ओले… प्रवासी मजदूरों से जम्मू में ऐसा छल

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कश्मीर से प्रवासी मजदूर मारे डर के लौट रहे हैं। परिस्थिति ये है कि जम्मू रेलवे मैदान में हजारो की संख्या में मजदूर इकट्ठा हैं। ये जल्द से जल्द अपने घर लौटना चाहते हैं। रेलवे टिकट कन्फर्म होने और ट्रेन की प्रतीक्षा में ये खुले आसमान के नीचे बिना खाने-पीने के पड़े हुए हैं। इनकी परेशानी को देखते हुए इक्कजुट्ट जम्मू और वेयर हाउस ट्रेडर्स फेडरेशन, जम्मू के सदस्य भोजन-पानी दे रहे हैं, लेकिन कश्मीर की जमीन पर आतंक और आसमान से बरस रहे ओले से प्रवासी मजदूर परेशान हैं।

रेलवे मैदान पर आए मजदूरों में उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि के प्रवासी हैं। ये मजदूरी करके अपना पेट पालते थे, लेकिन बीते दिनों आतंकी गतिविधियों में टार्गेट किलिंग से ये भयभीत हो गए हैं। इनमें से कुछ ने तो अपना नाम न बताते हुआ कहा है कि, इन्हें कश्मीर में स्थानीय लोगों द्वारा कहा गया है कि ये लौट जाएं, अन्यथा इन पर भी घात हो सकता है। इसके लिए सभी मजदूर राज्य के बाहर जानेवाले स्टेशनों पर इकट्ठा हो गए हैं।

इस्लामी आतंक के कारण पलायन को सरकार नैसर्गिक आपदा के रूप में पलायन दिखा रही है। जबकि सच्चाई ये है कि प्रवासी मजदूर आतंक के कारण पलायन कर रहे हैं। हजारों की संख्या में प्रतिदिन लोग जम्मू रेलवे स्टेशन आ रहे हैं, लेकिन गृहमंत्री की जनसभा के लिए करोड़ों खर्च करनेवाली सरकार के पास अपने घर लौट रहे मजदूरों को खाना पानी देने के लिए सुविधा नहीं है।
अंकुर शर्मा – अध्यक्ष, इक्कजुट्ट जम्मू

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ओलों ने बढ़ाई दिक्कत
जम्मू में शनिवार का दिन ओलावृष्टि का रहा। हालांकि, जम्मू कश्मीर में बर्फ और ओलों की बरसात आशातीत ही है, परंतु जब हजारों लोग खुले मैदान में बिना भोजन और ठंड से बचाव की सुविधा से हो तो चिंता स्वाभाविक है। इन मजदूरों को पिछले चार दिनों से इक्कजुट्ट जम्मू और वेयर हाउस ट्रेडर्स फेडरेशन, जम्मू के कार्यकर्ता नि:शुल्क भोजन, पानी की व्यवस्था प्रदान कर रहे हैं, लेकिन प्रवासियों की संख्या को देखते हुए वह अपर्याप्त है।

दुख देखा न गया
इक्कजुट्ट जम्मू के कार्यकर्ता अजय सिंह सैनी, माणिक जामवाल, विरेंदर एब्रॉल, मुकेश गुप्ता, अंशू मिश्रा और आदर्श शर्मा अपने अन्य सहयोगी कार्यकर्ताओं के साथ सेवा में जुट गए हैं। इन कार्यकर्ताओं को जब सूचना मिली की जम्मू स्टेशन पर बड़ी संख्या में प्रवासी पहुंच रहे हैं और उन्हें मदद करनेवाले कोई नहीं है तो ये सहायता लेकर पहुंच गए।

पुलवामा हमले के समय आतंक के समर्थक इस्लामी लोगों के लिए ट्रेन, बस बुक करके भेजनेवाली सरकार के पास गरीब राष्ट्रवादी हिंदुओं के लिए कुछ नहीं है। इन लोगों को पलायन को मजबूर किया गया है। वो आतंकी समर्थक थे जिन्हें सुरक्षित कश्मीर भेजा जा रहा था, यहां प्रवासी मजदूर आतंकवाद पीड़ित हैं, जो ठंड में खुले आसमान के नीचे पानी खाने को तरस रहे हैं।
किरण शर्मा – सामाजिक कार्यकर्ता, जम्मू

दौरे को करोड़ों रुपए, गरीब को मिल रही भूख
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं। वहां जनसभा भी होनी है। इसके लिए सरकार की ओर से करोड़ों रुपए खर्च किये जा रहे हैं। पूरा सरकारी तंत्र आगे-पीछे लगा हुआ है, परंतु प्रवासी मजदूरों की सहायता करनेवाला कोई नहीं है। बारिश और ओले की मार से गृहमंत्री की जनसभा के लिए खर्च किये गए करोड़ों रुपए मिट्टी में मिल गए हैं, जिसके कारण यह सभा रद्द कर दी गई है।

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