भारत चीन के संबंधों को लद्दाख की घटना ने बहुत क्षतिग्रस्त किया है। दोनों देशों के संबंधों पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि दोनों ही पक्षों को एक दूसरे का सम्मान करने और आकांक्षाओं को पहचानने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने कुछ सिंद्धातों को रेखांकित किया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिन सिद्धांतों को रेखांकित किया, उसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रबंधन, आपसी सम्मान-संवेदनशीलता, दोनों एशियाई देशों की बढ़ती शक्ति और एक-दूसरे की आकांक्षाओं को पहचानने के लिए सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करना शामिल है। पांच बिंदुओं में जानते हैं विदेश मंत्री के सुझाव।
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- भारत-चीन संबंधों पर एक ऑनलाइन सम्मेलन में एस.जयशंकर ने कहा कि पिछले साल घटित पूर्वी लद्दाख की घटनाओं ने संबंधों को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि वास्तिवक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
- दोनों देश अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर प्रबंधन के लिए आपसी सहमति पर पहुंच चुके हैं। इसके अंतर्गत एलओसी का कड़ाई से पालन बहुत आवश्यक है।
- जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन संबंध वास्तव में आज एक मोड़ पर है। ऐसी स्थिति में जो भी विकल्प अपनाए जाएंगे वे दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीनी कार्रवाई ने न केवल सैनिकों के स्तर को कम करने के बारे में प्रतिबद्धताओं की अवहेलना की, बल्कि शांति और शांति भंग करने की उसकी आकांक्षांओं को भी प्रभावित किया।
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- सीमा पर शांति चीन के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता की पूरक है। इसलिए यदि वो प्रभावित होती है तो संबंध भी प्रभावित होंगे
- पहले से ही मौजूद दोनों देशों के बीच के मतभेदों पर 2020 में घटी घटनाओं से अप्रत्याशित दबाव पड़ा है। ऐसी स्थिति में इसमें सुधार पर बल दिया जाना चाहिए।