बंगाल दंगों की हो जांच! देश की 146 विभूतियों ने राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय से की मांग

पश्चिम बंगाल में चुनावों के पहले से ही भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता रहा। इसमें कई कार्यकर्ताओं की जान चली गई। चुनावों के बाद भी यह सिलसिला थमा नहीं, जिसके कारण बड़ी संख्या में भाजपा समर्थकों को हिंसा का सामना करना पड़ा है।

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पश्चिम बंगाल में मतगणना के साथ शुरू हुए दंगों में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए, बहुत सारे लोग पलायन कर गए, बड़ी संख्या में लोगों का घर जला दिया गया तो कई भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याएं भी हुईं। इसको लेकर अब देश की 146 विभूतियों ने राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें विशेष जांच दल का गठन करके दंगों की जांच की मांग की गई है।

इन विशिष्ट विभूतियों ने में 17 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 32 आईपीएस अधिकारी, 31 आइएएस अधिकारी, 10 राजदूत और 56 सेना के पूर्व अधिकारी शामिल हैं। इन सभी के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन पूर्व राजदूत भसवती मुखर्जी और महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित ने सौंपा है।

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चुनावों के बाद दंगा
पश्चिम बंगाल में मतगणना शुरू होने के साथ विभिन्न स्थानों पर दंगे शुरू हो। इसमें एक भाजपा से आस्था रखनेवालों पर हमले किये गए। उनके घरों में तोड़फोड़ की गई। कई स्थानों पर आगजनी हुई, महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। भारतीय जनता पार्टी के अनुसार इस हिंसा में 25 से अधिक भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी।

ज्ञापन में क्या है?

  • पश्चिम बंगाल संवेदनशील सीमाई राज्य है। मतगणना के बाद हुई हिंसा के प्रकरणों को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को जांच के लिए सौंपा जाए
  • सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में बने विशेष जांच दल
  • विधान सभा चुनावों के बाद राजनीतिक हत्याओं और खून खराबे की परिस्थिति इस बात की आवश्यकता को दर्शाती है कि सही मार्ग पर चलनेवाले प्रत्येक नागरिक को अहिंसा का मार्ग स्वीकार करके लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और बदले की भावना, गुस्से का त्याग करना चाहिए।
  • राज्य के कुल 23 जिलों में से 16 जिलों में 15,000 हिंसा की घटनाएं हुईं
  • लगभग 5,000 लोगों को पलायन करना पड़ा
  • ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने से रोकने की पूरी कोशिश की
  • राज्यपाल ने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में दौरा करने के साथ ही असम के उन कैंपो का दौरा भी किया जहां पलायन के बाद लोग रह रहे हैं

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