दशहरा रैलीः वर्चुअल मोड में शिवसेना

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मुंबई। शिवसेना की परंपरागत और ऐतिहासिक दशहरा रैली इस बार कुछ अलग अंदाज में आयोजित किये जाने की संभावना है। पार्टी की स्थापना से ही दादर के शिवाजी पार्क में हर साल शिवसेना दशहरा रैली का आयोजन करती आ रही है लेकिन इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए शिवसेना इसे वर्चुअल मोड में करने की योजना बना रही है। आगामी 25 अक्टूबर को दशहरा पर वह इस बार वर्चुअल रैली करने की तैयारी कर रही है ।
शिवसेना के एक पदाधिकारी के अनुसार कोरोना महामारी के कारण दशहरा रैली पर शिसैनिकों को वर्चुअल मोड से संबोधित किये जाने की संभावना है ।
रैली में शामिल होते हैं हजारों शिवसैनिक
शिवसेना की दशहरा रैली में शामिल होने के लिए हर साल हजारों की संख्या में शिवसैनिक आते हैं। पिछले करीब 7 महीनों से मुम्बई सहित पूरे महाराष्ट्र में कोरोना ने कहर बरपा रखा है। इस परिस्थिति में शिवसेना दशहरा रैली को लेकर कोई रिस्क नही लेना चाहती। भारतीय जनता पार्टी पहले से ही आरोप लगा रही है कि शिवसेना कोरोना मरीजों को सही उपचार नहीं दे पा रही है। ऐसे में यदि शिवसेना दशहरा रैली आयोजित करती है तो कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ सकती है। ।यही वजह है कि इस बार दशहरा के अवसर पर वर्चुअल रैली आयोजित किये जाने की संभावना है । शिवसेना के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगामी 15 अक्टूबर तक कोरोना को लेकर एक समीक्षा बैठक होगी। उसके बाद रैली के आयोजन को लेकर स्थिति को देखकर उद्धव ठाकरे फैसला करेंगे।
ठाकरे परिवार और शिवाजी पार्क के ऐतिहासिक संबंध
ठाकरे परिवार का शिवाजी पार्क से पुराना और गहरा संबंध रहा है । पार्टी के संस्थापक और प्रमुख स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे ने अपनी पहली रैली 27 नवंबर 1966 को आयोजित की थी। तब से लेकर अब तक शिवाजी पार्क शिवसेना की दशहरा रैली का गवाह रहा है। इसकी पहली दशहरा रैली में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे । शिवाजी पार्क में दशहरा रैली में ही बालासाहेब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। साथ ही उन्होंने अपने पौत्र आदित्य ठाकरे को भारतीय युवा सेना का कार्यभार भी इसी शिवाजी पार्क में सौंपा था।
शिवसेना के सुख-दुख का गवाह
जब सन् 1995 में शिवसेना भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सत्ता में आई तो पार्टी के पहले मुख्यमंत्री मनोहर जोशी को इसी शिवाजी पार्क में शपथ दिलाई गई थी। इसके साथ ही जब स्वयं ठाकरे परिवार से 2019 में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी अपने परिवार की परंपरा को बरकरार रखा और इसी शिवाजी पार्क में हजारों शिवसैनिकों के बीच पद और गोपनीयता की शपथ ली । वर्ष 2015 में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवाजी पार्क में शिवसेना को रैली करने से मना कर दिया था। याचिका में अपील की गई थी कि दशहरा रैली में यहां काफी ध्वनि प्रदूषण होता है और यह 2010 से शांत क्षेत्र घोषित है। तब शिवसेना की तरफ से कोर्ट में यह दलील दी गई थी कि वह रैली में आवाज को 60 डीबी से ज्यादा नहीं बढ़ने देगी। उसके बाद हाई कोर्ट ने हिदायत देते हुए कहा था कि इस साल दशहरा रैली कर लें और अगले वर्ष के लिए अपना विकल्प ढूंढ़ लें । लेकिन राज्य में भाजपा- शिवसेना की सरकार होने से नियम में बदलाव किए गए और दशहरा रैली को सांस्कृतिक रूप देकर इसे आयोजित किया जाता रहा ।
जहां दादर का विशाल शिवाजी पार्क ठाकरे परिवार के सुख का गवाह बना, वहीं, शिवसेना प्रमुख स्व. बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद वर्ष 2012 में यह उसके दुःख का भी साक्षी रहा ।स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे के अंतिम संस्कार में लाखों की संख्या में लोग शिवाजी पार्क पहुचें थे और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम अंतिम विदाई दी गई थी।

 

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