मविआ में बड़े भाई-छोटे भाई का विवाद शुरू! जानिये, क्या कहते हैं अजीत पवार

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी ने अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए महाविकास आघाड़ी की अन्य पार्टियो पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

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2019 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा ने अधिक सीटें जीतीं। इस कार वह बड़े भाई की भूमिका में आ गई और शिवसेना को छोटे भाई बनकर रहना पड़ा। लेकिन शिवसेना को यह मंजूर नहीं हुआ और वह बेचैन हो गई। परिणाम यह हुआ कि दोनों के बीच तीन दशक से चला आ रहा गठबंधन टूट गया।

महाविकास आघाड़ी में भी चुनाव से पहले ही यह विवाद शुरू हो गया है। एनसीपी नेता अजीत पवार ने लोकसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे की बात करते हुए दावा किया है कि वह महाविकास आघाड़ी में बड़े भाई बन गए हैं। अब इस विषय पर महाविकास आघाड़ी ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है। पवार ने कहा कि सीट बंटवारे में हमें छोटे भाई की भूमिका निभानी थी। लेकिन अब हम कांग्रेस के बड़े भाई हो गए हैं। क्योंकि उनके पास 44 सीटें और हमारे पास 54 सीटें हैं। उद्धव ठाकरे के पास 56 विधायक थे। लेकिन अब 50 विधायक शिंदे के साथ चले गए हैं। अजित पवार ने यह दावा करते हुए कहा है कि यही राजनीति का गणित है।

अजीत पवार ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने कहा कि हम महाविकास आघाड़ी की घटक पार्टी हैं। हमें मोर्चा मजबूत रखना है। लेकिन ऐसा करते वक्त याद रखें कि अगर आपकी ताकत ज्यादा होगी, तभी महाविकास आघाड़ी में आपकी कद्र होगी। पिछले हर चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिली थीं। सीट बंटवारे में हमें छोटे भाई की भूमिका निभानी थी। लेकिन अब हम कांग्रेस से बड़े भाई हो गए हैं। क्योंकि उनके पास 44 सीटें हैं और हमारे पास 54 सीटें हैं। उद्धव ठाकरे के पास 56 विधायक थे। समझा जा रहा है कि अजीत पवार ने इस तरह का बयान देकर महाविकास आघाड़ी के दलों पर अधिक सीट देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

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संजय राउत ने क्या कहाः
ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने पवार के बयना पर कहा है, “चलो सबका डीएनए टेस्ट करते हैं। बीच में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में छोटा भाई, बड़ा भाई का मुद्दा उठा था। तब भी मैंने कहा था कि डीएनए टेस्ट कराना होगा। महाविकास आघाड़ी में किसी भी तरह का ऐसा कोई मतभेद नहीं है। हर व्यक्ति अपनी पार्टी की स्थिति को रख रहा है. हमें अपने कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए ऐसी भूमिकाएं निभानी होंगी। लोकसभा सीटों के आवंटन की प्रक्रिया जारी है। पहले लोकसभा चुनाव होगा, उसके बाद विधान सभा चुनाव होगा। लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर प्रमुख पार्टियों की बैठकें चल रही हैं।”

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