पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की सियासत में बैठक सत्र जोरों पर है। इसलिए, राज्य की राजनीति में क्या चल रहा है, इसका सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निजी तौर पर मिलने के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। उसके बाद अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके अचानक दौरे पर महाराष्ट्र में अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
दिल्ली दौरे का रहस्य
राकांपा प्रमुख 20 जून की दोपहर विमान से दिल्ली पहुंचे। सर्जरी के बाद उनका यह पहला दिल्ली दौरा है। पता चला है कि वे यात्रा के दौरान केरल के प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे। लेकिन पिछले कुछ दिनों के भीतर पवार की चाल को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि उनके दिमाग में जरूर कुछ और चल रहा होगा। हालांकि पवार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात होगी या नहीं, इस बारे में अभी तक कुछ भी पुख्ता तौर पर कहना मुश्किल है, लेकिन महाराष्ट्र की महाविकास सरकार के साथ ही विपक्षी भाजपा इस बारे में जानने को लेकर बेताब है।
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महाविकास अघाड़ी के 5 साल चलने की घोषणा
पवार ने हाल ही में राकांपा की स्थापना दिवस पर प्रदेश की महाविकास आघाड़ी के पांच साल चलने की घोषणा की है। इस दौरान उन्होंने शिवसेना की प्रशंसा भी की थी। लेकिन एक तरफ जहां शरद पवार कह रहे हैं कि महाविकास गठबंधन में सबकुछ ठीक है, वहीं इस गठबंधन में टूट-फूट कई बार सामने आ चुकी है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं। साथ ही शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी शिवसेना को कमजोर कर रही हैं, शिवसेना को एक बार फिर भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहिए। इस पत्र के बाद राष्ट्रवादी में खलबली मची हुई है।
पवार-किशोर बैठक
8 जून को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर मराठा आरक्षण समेत राज्य के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी। इनके बीच आधे घंटे तक निजी चर्चा हुई। दो दिन बाद मुंबई में सिल्वर ओक पर राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शरद पवार से मुलाकात की। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से कैसे दूर रखा जाए और उस चुनाव के लिए कौन-सा चेहरा उपयुक्त रहेगा, इन मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इसके बाद पवार के इस दिल्ली दौरे पर महाराष्ट्र के सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की नजर है।